آپ اُس سے جھگڑ کر کیوں کہتے ہیں، ’وہ میری کسی بھی بات کا جواب نہیں دیتا‘؟
अय्यूब, तू क्यों शिकायत करता है और क्यों परमेश्वर से बहस करता है? तू क्यों शिकायत करता है कि
परमेश्वर तुझे हर उस बात के विषय में जो वह करता है स्पष्ट क्यों नहीं बताता है?
کبھی اللہ انسان کو بستر پر درد کے ذریعے تربیت دیتا ہے۔ تب اُس کی ہڈیوں میں لگاتار جنگ ہوتی ہے۔
“अथवा कोई व्यक्ति परमेश्वर की वाणी तब सुन सकता है जब वह बिस्तर में पड़ा हों और परमेश्वर के दण्ड से दु:ख भोगता हो।
परमेश्वर पीड़ा से उस व्यक्ति को सावधान करता है।
वह व्यक्ति इतनी गहन पीड़ा में होता है, कि उसकी हड्डियाँ दु:खती है।
اُس کی جان گڑھے کے قریب، اُس کی زندگی ہلاک کرنے والوں کے نزدیک پہنچتی ہے۔
ऐसा व्यक्ति मृत्यु के देश के निकट होता है, और उसका जीवन मृत्यु के निकट होता है।
किन्तु हो सकता है कि कोई स्वर्गदूत हो जो उसके उत्तम चरित्र की साक्षी दे।
اور اُس پر ترس کھا کر کہے، ’اُسے گڑھے میں اُترنے سے چھڑا، مجھے فدیہ مل گیا ہے،
वह स्वर्गदूत उस व्यक्ति पर दयालु होगा, वह दूत परमेश्वर से कहेगा:
‘इस व्यक्ति की मृत्यु के देश से रक्षा हो!
इसका मूल्य चुकाने को एक राह मुझ को मिल गयी है।’
تو پھر وہ شخص اللہ سے التجا کرے گا، اور اللہ اُس پر مہربان ہو گا۔ تب وہ بڑی خوشی سے اللہ کا چہرہ تکتا رہے گا۔ اِسی طرح اللہ انسان کی راست بازی بحال کرتا ہے۔
वह व्यक्ति परमेश्वर की स्तुति करेगा और परमेश्वर उसकी स्तुति का उत्तर देगा।
वह फिर परमेश्वर को वैसा ही पायेगा जैसे वह उसकी उपासना करता है, और वह अति प्रसन्न होगा।
क्योंकि परमेश्वर उसे निरपराध घोषित कर के पहले जैसा जीवन कर देगा।