निर्धन के सभी सम्बंधी उससे कतराते हैं। उसके मित्र उससे कितना बचते फिरते हैं, यद्यपि वह उन्हें अनुनय—विनय से मनाता रहता है किन्तु वे उसे कहीं मिलते ही नहीं हैं।
Tous les frères du pauvre le haïssent; Combien plus ses amis s'éloignent-ils de lui! Il leur adresse des paroles suppliantes, mais ils disparaissent.