et quocumque introibat in vicos vel in villas aut civitates in plateis ponebant infirmos et deprecabantur eum ut vel fimbriam vestimenti eius tangerent et quotquot tangebant eum salvi fiebant
वह गावों में, नगरों में या वस्तियों में, जहाँ कहीं भी जाता, लोग अपने बीमारों को बाज़ारों में रख देते और उससे विनती करते कि वह अपने वस्त्र का बस कोई सिरा ही उन्हें छू लेने दे। और जो भी उसे छू पाये, सब चंगे हो गये।