Ephesians 4

obsecro itaque vos ego vinctus in Domino ut digne ambuletis vocatione qua vocati estis
इसलिए मैं, जो प्रभु का होने के कारण बंदी बना हुआ हूँ, तुम लोगों से प्रार्थना करता हूँ कि तुम्हें अपना जीवन वैसे ही जीना चाहिए जैसा कि संतों के अनुकूल होता है।
cum omni humilitate et mansuetudine cum patientia subportantes invicem in caritate
सदा नम्रता और कोमलता के साथ, धैर्यपूर्वक आचरण करो। एक दूसरे की प्रेम से सहते रहो।
solliciti servare unitatem spiritus in vinculo pacis
वह शांति, जो तुम्हें आपस में बाँधती है, उससे उत्पन्न आत्मा की एकता को बनाये रखने के लिये हर प्रकार का यत्न करते रहो।
unum corpus et unus spiritus sicut vocati estis in una spe vocationis vestrae
देह एक है और पवित्र आत्मा भी एक ही है। ऐसे ही जब तुम्हें भी बुलाया गया तो एक ही आशा में भागीदार होने के लिये ही बुलाया गया।
unus Dominus una fides unum baptisma
एक ही प्रभु है, एक ही विश्वास है और है एक ही बपतिस्मा।
unus Deus et Pater omnium qui super omnes et per omnia et in omnibus nobis
परमेश्वर एक ही है और वह सबका पिता है। वही सब का स्वामी है, हर किसी के द्वारा वही क्रियाशील है, और हर किसी में वही समाया है।
unicuique autem nostrum data est gratia secundum mensuram donationis Christi
हममें से हर किसी को उसके अनुग्रह का एक विशेष उपहार दिया गया है जो मसीह की उदारता के अनुकूल ही है।
propter quod dicit ascendens in altum captivam duxit captivitatem dedit dona hominibus
इसलिए शास्त्र कहता है: “उसने विजयी को ऊँचे चढ़, बंदी बनाया और उसने लोगों को अपने आनन्दी वर दिये।” भजन संहिता 68:18
quod autem ascendit quid est nisi quia et descendit primum in inferiores partes terrae
अब देखो, जब वह कहता है, “ऊँचे चढ़” तो इसका अर्थ इसके अतिरिक्त क्या है? कि वह धरती के निचले भागों पर भी उतरा था।
qui descendit ipse est et qui ascendit super omnes caelos ut impleret omnia
जो नीचे उतरा था, वह वही है जो ऊँचे भी चढ़ा था इतना ऊँचा कि सभी आकाशों से भी ऊपर, ताकि वह सब कुछ को सम्पूर्ण कर दे।
et ipse dedit quosdam quidem apostolos quosdam autem prophetas alios vero evangelistas alios autem pastores et doctores
उसने स्वयं ही कुछ को प्रेरित होने का वरदान दिया तो कुछ को नबी होने का तो कुछ को सुसमाचार के प्रचारक होने का तो कुछ को परमेश्वर के जनों की सुरक्षा और शिक्षा का।
ad consummationem sanctorum in opus ministerii in aedificationem corporis Christi
मसीह ने उन्हें ये वरदान संत जनों की सेवा कार्य के हेतु तैयार करने को दिये ताकि हम जो मसीह की देह है, आत्मा में और दृढ़ हों।
donec occurramus omnes in unitatem fidei et agnitionis Filii Dei in virum perfectum in mensuram aetatis plenitudinis Christi
जब तक कि हम सभी विश्वास में और परमेश्वर के पुत्र के ज्ञान में एकाकार होकर परिपक्क पुरुष बनने के लिए विकास करते हुए मसीह के सम्पूर्ण गौरव की ऊँचाई को न छू लें।
ut iam non simus parvuli fluctuantes et circumferamur omni vento doctrinae in nequitia hominum in astutia ad circumventionem erroris
ताकि हम ऐसे बच्चे ही न बने रहें जो हर किसी ऐसी नयी शिक्षा की हवा से उछले जायें, जो हमारे रास्ते में बहती है, लोगों के छलपूर्ण व्यवहार से, ऐसी धूर्तता से, जो ठगी से भरी योजनाओं को प्रेरित करती है, इधर-उधर भटका दिये जाते हैं।
veritatem autem facientes in caritate crescamus in illo per omnia qui est caput Christus
बल्कि हम प्रेम के साथ सत्य बोलते हुए हर प्रकार से मसीह के जैसे बनने के लिये विकास करते जायें। मसीह सिर है,
ex quo totum corpus conpactum et conexum per omnem iuncturam subministrationis secundum operationem in mensuram uniuscuiusque membri augmentum corporis facit in aedificationem sui in caritate
जिस पर समूची देह निर्भर करती है। यह देह उससे जुड़ती हुई प्रत्येक सहायक नस से संयुक्त होती है और जब इसका हर अंग जो काम उसे करना चाहिए, उसे पूरा करता है तो प्रेम के साथ समूची देह का विकास होता है और यह देह स्वयं सुदृढ़ होती है।
hoc igitur dico et testificor in Domino ut iam non ambuletis sicut gentes ambulant in vanitate sensus sui
मैं इसीलिए यह कहता हूँ और प्रभु को साक्षी करके तुम्हें चेतावनी देता हूँ कि उनके व्यर्थ के विचारों के साथ अधर्मियों के जैसा जीवन मत जीते रहो।
tenebris obscuratum habentes intellectum alienati a vita Dei per ignorantiam quae est in illis propter caecitatem cordis ipsorum
उनकी बुद्धि अंधकार से भरी है। वे परमेश्वर से मिलने वाले जीवन से दूर हैं। क्योंकि वे अबोध हैं और उनके मन जड़ हो गये हैं।
qui desperantes semet ipsos tradiderunt inpudicitiae in operationem inmunditiae omnis in avaritia
लज्जा की भावना उनमें से जाती रही है। और उन्होंने अपने को इन्द्रिय उपासना में लगा दिया है। बिना कोई बन्धन माने वे हर प्रकार की अपवित्रता में जुटे हैं।
vos autem non ita didicistis Christum
किन्तु मसीह के विषय में तुमने जो जाना है, वह तो ऐसा नहीं है।
si tamen illum audistis et in ipso edocti estis sicut est veritas in Iesu
मुझे कोई संदेह नहीं है कि तुमने उसके विषय में सुना है; और वह सत्य जो यीशु में निवास करता है, उसके अनुसार तुम्हें उसके शिष्यों के रूप में शिक्षित भी किया गया है।
deponere vos secundum pristinam conversationem veterem hominem qui corrumpitur secundum desideria erroris
जहाँ तक तुम्हारे पुराने जीवन प्रकार का संबन्ध हैं तुम्हें शिक्षा दी गयी थी कि तुम अपने पुराने व्यक्तित्व को उतार फेंको जो उसकी भटकाने वाली इच्छाओं के कारण भ्रष्ट बना हुआ है।
renovamini autem spiritu mentis vestrae
जिससे बुद्धि और आत्मा में तुम्हें नया किया जा सके।
et induite novum hominem qui secundum Deum creatus est in iustitia et sanctitate veritatis
और तुम उस नये स्वरूप को धारण कर सको जो परमेश्वर के अनुरूप सचमुच धार्मिक और पवित्र बनने के लिए रचा गया है।
propter quod deponentes mendacium loquimini veritatem unusquisque cum proximo suo quoniam sumus invicem membra
सो तुम लोग झूठ बोलने का त्याग कर दो। अपने साथियों से हर किसी को सब बोलना चाहिए, क्योंकि हम सभी एक शरीर के ही अंग हैं।
irascimini et nolite peccare sol non occidat super iracundiam vestram
क्रोध में आकर पाप मत कर बैठो। सूरज ढलने से पहले ही अपने क्रोध को समाप्त कर दो।
nolite locum dare diabolo
शैतान को अपने पर हावी मत होने दो।
qui furabatur iam non furetur magis autem laboret operando manibus quod bonum est ut habeat unde tribuat necessitatem patienti
जो चोरी करता आ रहा है, वह आगे चोरी न करे। बल्कि उसे काम करना चाहिए, स्वयं अपने हाथों से कोई उपयोगी काम। ताकि उसके पास, जिसे आवश्यकता है, उसके साथ बाँटने को कुछ हो सके।
omnis sermo malus ex ore vestro non procedat sed si quis bonus ad aedificationem oportunitatis ut det gratiam audientibus
तुम्हारे मुख से कोई अनुचित शब्द नहीं निकलना चाहिए, बल्कि लोगों के विकास के लिए जिसकी अपेक्षा है, ऐसी उत्तम बात ही निकलनी चाहिए, ताकि जो सुनें उनका उससे भला हो।
et nolite contristare Spiritum Sanctum Dei in quo signati estis in die redemptionis
परमेश्वर की पवित्र आत्मा को दुःखी मत करते रहो क्योंकि परमेश्वर की सम्पत्ति के रूप में तुम पर छुटकारे के दिन के लिए आत्मा के साथ मुहर लगा दिया गया है।
omnis amaritudo et ira et indignatio et clamor et blasphemia tollatur a vobis cum omni malitia
समूची कड़वाहट, झुँझलाहट, क्रोध, चीख-चिल्लाहट और निन्दा को तुम अपने भीतर से हर तरह की बुराई के साथ निकाल बाहर फेंको।
estote autem invicem benigni misericordes donantes invicem sicut et Deus in Christo donavit nobis
परस्पर एक दूसरे के प्रति दयालु और करुणावान बनो। तथा आपस में एक दूसरे के अपराधों को वैसे ही क्षमा करो जैसे मसीह के द्वारा तुम को परमेश्वर ने भी क्षमा किया है।