لأَنَّهُ مَكْتُوبٌ:«افْرَحِي أَيَّتُهَا الْعَاقِرُ الَّتِي لَمْ تَلِدْ. اِهْتِفِي وَاصْرُخِي أَيَّتُهَا الَّتِي لَمْ تَتَمَخَّضْ، فَإِنَّ أَوْلاَدَ الْمُوحِشَةِ أَكْثَرُ مِنَ الَّتِي لَهَا زَوْجٌ».
शास्त्र कहता है:
“बाँझ! आनन्द मना,
तूने किसी को न जना;
हर्ष नाद कर, तुझ को प्रसव वेदना न हुई,
और हँसी-खुशी में खिलखिला।
क्योंकि परित्यक्ता की अनगिनत
संतानें हैं उसकी उतनी नहीं है जो पतिवंती है।” यशायाह 54:1