हे मेरे स्वामी, मुझ पर जब दु:ख पड़ता है, मैं तेरी शरण में आता हूँ।
मैं सारी रात तुझ तक पहुँचने में जुझा हूँ।
मेरा मन चैन पाने को नहीं माना।
فِي يَوْمِ ضِيقْيِ الْتَمَسْتُ الرَّبَّ. يَدِي فِي اللَّيْلِ انْبَسَطَتْ وَلَمْ تَخْدَرْ. أَبَتْ نَفْسِي التَّعْزِيَةَ.