तुम्हारा दास होने के पहले यदि उसका विवाह नहीं हुआ है तो वह पत्नी के बिना ही स्वतन्त्र होकर चला जाएगा। किन्तु यदि दास होने के समय वह व्यक्ति विवाहित होगा तो स्वतन्त्र होने के समय वह अपनी पत्नी को अपने साथ ले जाएगा।
यदि दास विवाहित नहीं होगा तो उसका स्वामी उसे पत्नी दे सकेगा। यदि वह पत्नी, पुत्र या पुत्रियों को जन्म देगी तो वह स्त्री तथा बच्चे उस दास के स्वामी के होंगे। अपने सेवाकाल के पूरा होने पर केवल वह दास ही स्वतन्त्र किया जाएगा”
“किन्तु यह हो सकता है कि दास यह निश्चय करे कि वह अपने स्वामी के साथ रहना चाहता है। तब उसे कहना पड़ेगा, ‘मैं अपने स्वामी से प्रेम करता हूँ। मैं अपनी पत्नी और अपने बच्चों से प्रेम करता हूँ। मैं स्वतन्त्र नहीं होऊँगा मैं यहीं रहूँगा।’
यदि ऐसा हो तो दास का स्वामी उसे परमेश्वर के सामने लाएगा। दास का स्वामी उसे किसी दरवाज़े तक या उसकी चौखट तक ले जाएगा और दास का स्वामी एक तेज़ औज़ार से दास के कान में एक छेद करेगा। तब दास उस स्वामी की सेवा जीवन भर करेगा।
“कोई भी व्यक्ति अपनी पुत्री को दासी के रूप में बेचने का निश्चय कर सकता है। यदि ऐसा हो तो उसे स्वतन्त्र करने के लिए वे ही नियम नहीं हैं जो पुरुष दासों को स्वतन्त्र करने के लिए हैं।
यदि स्वामी उस स्त्री से सन्तुष्ट नहीं है तो वह उसके पिता को उसे वापस बेच सकता है। किन्तु यदि दासी का स्वामी उस स्त्री से विवाह करने का वचन दे तो वह दूसरे व्यक्ति को उसे बेचने का अधिकार खो देता है।
“यदि दासी का स्वामी किसी दूसरी स्त्री से भी विवाह करे तो उसे चाहिए कि वह पहली पत्नी को कम भोजन या वस्त्र न दे और उसे चाहिए कि उन चीजों को लगातार वह उसे देता रहे जिन्हें पाने का उसे अधिकार विवाह से मिला है।
उस व्यक्ति को ये तीन चीजें उसके लिए करनी चाहिए। यदि वह इन्हें नहीं करता तो स्त्री स्वतन्त्र की जाएगी और इसके लिए उसे कुछ देना भी नहीं पड़ेगा। उसे उस व्यक्ति को कोई धन नहीं देना होगा”
किन्तु यदि ऐसा संयोग होता है कि कोई बिना पूर्व योजना के किसी व्यक्ति को मार दे, तो ऐसा परमेश्वर की इच्छा से ही हुआ होगा। मैं कुछ विशेष स्थानों को चुनूँगा जहाँ लोग सुरक्षा के लिए दौड़कर जा सकते हैं। इस प्रकार वह व्यक्ति दौड़कर इनमें से किसी भी स्थान पर जा सकता है।
किन्तु कोई व्यक्ति यदि किसी व्यक्ति के प्रति क्रोध या घृणा रखने के कारण उसे मारने की योजना बनाए तो हत्यारे को दण्ड अवश्य मिलना चाहिए। उसे मेरी वेदी से दूर ले जाओ और उसे मार डालो”
“दो व्यक्ति बहस कर सकते हैं और एक दूसरे को पत्थर या मुक्के से मार सकते हैं। उस व्यक्ति को तुम्हें कैसे दण्ड देना चाहिए? यदि चोट खाया हुआ व्यक्ति मर न जाए तो चोट पहुँचाने वाला व्यक्ति मारा न जाए।
किन्तु यदि चोट खाए व्यक्ति को कुछ समय तक चारपाई पकड़नी पड़े तो चोट पहुँचाने वाले व्यक्ति को उसे हर्जाना देना चाहिए। चोट पहुँचाने वाला व्यक्ति उसके समय की हानि को धन से पूरा करे। वह व्यक्ति तब तक उसे हर्जाना दे जब तक वह पूरी तरह ठीक न हो जाए”
किन्तु दास यदि मरता नहीं और कुछ दिनों बाद वह स्वस्थ हो जाता है तो उस व्यक्ति को दण्ड नहीं दिया जाएगा। क्यों? क्योंकि दास के स्वामी ने दास के लिए धन दिया और दास उसका है।
“दो व्यक्ति आपस में लड़ सकते हैं और किसी गर्भवती स्त्री को चोट पहुँचा सकते हैं। यदि वह स्त्री अपने बच्चे को समय से पहले जन्म देती है, और माँ बुरी तरह घायल नहीं है तो चोट पहुँचानेवाला व्यक्ति उसे अवश्य धन दे। उस स्त्री का पति यह निश्चित करेगा कि वह व्यक्ति कितना धन दे। न्यायाधीश उस व्यक्ति को यह निश्चय करने में सहायता करेंगे कि वह धन कितना होगा।
किन्तु यदि स्त्री बुरी तरह घायल हो तो वह व्यक्ति जिसने उसे चोट पहुँचाई है अवश्य दण्डित किया जाए। यदि एक व्यक्ति मार दिया जाता है तो हत्यारा अवश्य मार दिया जाए। तुम एक जीवन के बदले दूसरा जीवन लो।
“यदि कोई व्यक्ति किसी दास की आँख को चोट पहुँचाए और दास उस आँख से अन्धा हो जाए तो वह दास स्वतन्त्र हो जाने दिया जाएगा। उसकी आँख उसकी स्वतन्त्रता का मूल्य है। यह नियम दास या दासी दोनों के लिए समान है।
यदि दास का स्वामी दास के मुँह पर मारे और दास का कोई दाँत टूट जाए तो दास को स्वतन्त्र कर दिया जाएगा। दास का दाँत उसकी स्वतन्त्रता का मूल्य है। यह दास और दासी दोनों के लिए समान है।
“यदि किसी व्यक्ति का कोई बैल किसी स्त्री को या पुरुष को मार देता है तो तुम पत्थरों का उपयोग करो और बैल को मार डालो। तुम्हें उस बैल को खाना नहीं चाहिए। किन्तु बैल का स्वामी अपराधी नहीं है।
किन्तु यदि बैल ने पहले लोगों को चोट पहुँचाई हो और स्वामी को चेतावनी दी गई हो तो वह स्वामी अपराधी है। क्यों? क्योंकि इसने बैल को बाँधा या बन्द नहीं रखा। यदि बैल स्वतन्त्र छोड़ा गया हो और किसी को वह मारे तो स्वामी अपराधी है। तुम पत्थरों से बैल और उसके स्वामी को भी मार दो।
किन्तु बैल यदि दास को मार दे तो बैल का स्वामी दास के स्वामी को एक नये दास का मूल्य चाँदी के तीस सिक्के दे और बैल भी पत्थरों से मार डाला जाए। यह नियम दास और दासी के लिए समान होगा।
“यदि किसी का बैल किसी दूसरे व्यक्ति के बैल को मार डाले तो वे दोनों उस जीवित बैल को बेच दें। दोनों व्यक्ति बेचने से प्राप्त आधा—आधा धन और मरे बैल का आधा—आधा भाग ले लें।
किन्तु यदि उस व्यक्ति के बैल ने पहले भी किसी दूसरे जानवर को चोट पहुँचाई हो तो उस बैल का स्वामी अपने बैल के लिए उत्तरदायी है। यदि उसका बैल दूसरे बैल को मार डालता है तो यह अपराधी है क्योंकि उसने बैल को स्वतन्त्र छोड़ा। वह व्यक्ति बैल के बदले बैल अवश्य दे। वह मारे गए बैल के बदले अपना बैल दे।