Ось тому без виправдання ти, кожний чоловіче, що судиш, бо в чому осуджуєш іншого, сам себе осуджуєш, бо чиниш те саме й ти, що судиш.
सो, न्याय करने वाले मेरे मित्र तू चाहे कोई भी है, तेरे पास कोई बहाना नहीं है क्योंकि जिस बात के लिये तू किसी दूसरे को दोषी मानता है, उसी से तू अपने आपको भी अपराधी सिद्ध करता है क्योंकि तू जिन कर्मों का न्याय करता है उन्हें आप भी करता है।