et non dixit ubi est Deus qui fecit me qui dedit carmina in nocte
किन्तु वे परमेश्वर से सहायता नहीं माँगते।
वे नही कहते हैं कि, ‘परमेश्वर जिसने हम को रचा है वह कहाँ है? परमेश्वर जो हताश जन को आशा दिया करता है वह कहाँ है?’
etiam cum dixeris non considerat iudicare coram eo et expecta eum
अय्यूब, इसी तरह परमेश्वर तेरी नहीं सुनेगा,
जब तू यह कहता है कि वह तुझको दिखाई नहीं देता
और तू उससे मिलने के अवसर की प्रतीक्षा में है,
और यह प्रमाणित करने की तू निर्दोष है।
ergo Iob frustra aperit os suum et absque scientia verba multiplicat
इसलिये अय्यूब निज व्यर्थ बातें करता रहता है।
अय्यूब ऐसा व्यवहार कर रहा है कि जैसे वह महत्वपूर्ण है।
किन्तु यह देखना कितना सरल है कि अय्यूब नहीं जानता कि वह क्या कह रहा है।”