“तुमने मुझे नहीं चुना, बल्कि मैंने तुम्हें चुना है और नियत किया है कि तुम जाओ और सफल बनो। मैं चाहता हूँ कि तुम्हारी सफलता बनी रहे ताकि मेरे नाम में जो कुछ तुम चाहो, परम पिता तुम्हें दे।
لَيْسَ أَنْتُمُ اخْتَرْتُمُونِي بَلْ أَنَا اخْتَرْتُكُمْ، وَأَقَمْتُكُمْ لِتَذْهَبُوا وَتَأْتُوا بِثَمَرٍ، وَيَدُومَ ثَمَرُكُمْ، لِكَيْ يُعْطِيَكُمُ الآبُ كُلَّ مَا طَلَبْتُمْ بِاسْمِي.