तब उसने धूप जलाने की एक वेदी बनाई। उसने इसे बबूल की लकड़ी का बनाया। वेदी वर्गाकार थी। यह अट्ठारह इंच लम्बी, अट्ठारह इंच चौड़ी और छत्तीस इंच ऊँची थी। वेदी पर चार सींग बनाए गए थे। हर एक कोने पर एक सींग बना था। ये सींग वेदी के साथ एक इकाई बनाने के लिये जोड़ दिए गए थे।
وَصَنَعَ مَذْبَحَ الْبَخُورِ مِنْ خَشَبِ السَّنْطِ، طُولُهُ ذِرَاعٌ، وَعَرْضُهُ ذِرَاعٌ، مُرَبَّعًا. وَارْتِفَاعُهُ ذِرَاعَانِ. مِنْهُ كَانَتْ قُرُونُهُ.