اَلإِنْسَانُ الصَّالِحُ مِنْ كَنْزِ قَلْبِهِ الصَّالِحِ يُخْرِجُ الصَّلاَحَ، وَالإِنْسَانُ الشِّرِّيرُ مِنْ كَنْزِ قَلْبِهِ الشِّرِّيرِ يُخْرِجُ الشَّرَّ. فَإِنَّهُ مِنْ فَضْلَةِ الْقَلْبِ يَتَكَلَّمُ فَمُهُ.
एक अच्छा मनुष्य उसके मन में अच्छाइयों का जो खजाना है, उसी से अच्छी बातें उपजाता है। और एक बुरा मनुष्य, जो उसके मन में बुराई है, उसी से बुराई पैदा करता है। क्योंकि एक मनुष्य मुँह से वही बोलता है, जो उसके हृदय से उफन कर बाहर आता है।