كَذلِكَ أَنْتُمْ أَيْضًا، مَتَى فَعَلْتُمْ كُلَّ مَا أُمِرْتُمْ بِهِ فَقُولُوا: إِنَّنَا عَبِيدٌ بَطَّالُونَ، لأَنَّنَا إِنَّمَا عَمِلْنَا مَا كَانَ يَجِبُ عَلَيْنَا».
तुम्हारे साथ भी ऐसा ही है। जो कुछ तुमसे करने को कहा गया है, उसे कर चुकने के बाद तुम्हें कहना चाहिये, ‘हम दास हैं, हम किसी बड़ाई के अधिकारी नहीं हैं। हमने तो बस अपना कर्तव्य किया है।’”