فَالطَّبَقَةُ السُّفْلَى عَرْضُهَا خَمْسُ أَذْرُعٍ، وَالْوُسْطَى عَرْضُهَا سِتُّ أَذْرُعٍ، وَالثَّالِثَةُ عَرْضُهَا سَبْعُ أَذْرُعٍ، لأَنَّهُ جَعَلَ لِلْبَيْتِ حَوَالَيْهِ مِنْ خَارِجٍ أخْصَامًا لِئَلاَّ تَتَمَكَّنَ الْجَوَائِزُ فِي حِيطَانِ الْبَيْتِ.
कमरे मन्दिर की दीवार से सटे थे किन्तु उनकी शहतीरें उसकी दीवार में नहीं घुसी थीं। शिखर पर, मन्दिर की दीवार पतली हो गई थी। इसलिये उन कमरों की एक ओर की दीवार उसके नीचे की दीवार से पतली थी। नीचे की मंजिल के कमरे साढ़े सात फुट चौड़े थे। बीच की मंजिल के कमरे नौ फुट चौड़े थे। उसके ऊपर के कमरे दस—बारह फुट चौड़े थे।