Philippians 4

itaque fratres mei carissimi et desiderantissimi gaudium meum et corona mea sic state in Domino carissimi
हे मेरे प्रिय भाईयों, तुम मेरी प्रसन्नता हो, मेरे गौरव हो। तुम्हें जैसे मैंने बताया है, प्रभु में तुम वैसे ही दृढ़ बने रहो।
Euhodiam rogo et Syntychen deprecor id ipsum sapere in Domino
मैं यहूदिया और संतुखे दोनों को प्रोत्साहित करता हूँ कि तुम प्रभु में एक जैसे विचार बनाये रखो।
etiam rogo et te germane conpar adiuva illas quae mecum laboraverunt in evangelio cum Clemente et ceteris adiutoribus meis quorum nomina sunt in libro vitae
मेरे सच्चे साथी तुझसे भी मेरा आग्रह है कि इन महिलाओं की सहायता करना। ये वलैमेन्स तथा मेरे दूसरे सहकर्मियों सहित सुसमाचार के प्रचार में मेरे साथ जुटी रही हैं। इनके नाम जीवन की पुस्तक में लिखे गये है।
gaudete in Domino semper iterum dico gaudete
प्रभु में सदा आनन्द मनाते रहो। इसे मैं फिर दोहराता हूँ, आनन्द मनाते रहो।
modestia vestra nota sit omnibus hominibus Dominus prope
तुम्हारी सहनशील आत्मा का ज्ञान सब लोगों को हो। प्रभु पास ही है।
nihil solliciti sitis sed in omni oratione et obsecratione cum gratiarum actione petitiones vestrae innotescant apud Deum
किसी बात कि चिंता मत करो, बल्कि हर परिस्थिति में धन्यवाद सहित प्रार्थना और विनय के साथ अपनी याचना परमेश्वर के सामने रखते जाओ।
et pax Dei quae exsuperat omnem sensum custodiat corda vestra et intellegentias vestras in Christo Iesu
इसी से परमेश्वर की ओर से मिलने वाली शांति, जो समझ से परे है तुम्हारे हृदय और तुम्हारी बुद्धि को मसीह यीशु में सुरक्षित बनाये रखेगी।
de cetero fratres quaecumque sunt vera quaecumque pudica quaecumque iusta quaecumque sancta quaecumque amabilia quaecumque bonae famae si qua virtus si qua laus haec cogitate
हे भाईयों, उन बातों का ध्यान करो जो सत्य हैं, जो भव्य है, जो उचित है, जो पवित्र है, जो आनन्द दायी है, जो सराहने योग्य है या कोई भी अन्य गुण या कोई प्रशंसा
quae et didicistis et accepistis et audistis et vidistis in me haec agite et Deus pacis erit vobiscum
जिसे तुमने मुझसे सीखा है, पाया है या सुना है या जिसे करते मुझे देखा है। उन बातों का अभ्यास करते रहो। शांति का स्रोत परमेश्वर तुम्हारे साथ रहेगा।
gavisus sum autem in Domino vehementer quoniam tandem aliquando refloruistis pro me sentire sicut et sentiebatis occupati autem eratis
तुम निश्चय ही मेरी भलाई के लिये सोचा करते थे किन्तु तुम्हें उसे दिखाने का अवसर नहीं मिला था, किन्तु अब आखिरकार तुममें मेरे प्रति फिर से चिंता जागी है। इससे मैं प्रभु में बहुत आनन्दित हुआ हूँ।
non quasi propter penuriam dico ego enim didici in quibus sum sufficiens esse
किसी आवश्यकता के कारण मैं यह नहीं कह रहा हूँ। क्योंकि जैसी भी परिस्थिति में मैं रहूँ, मैंने उसी में संतोष करना सीख लिया है।
scio et humiliari scio et abundare ubique et in omnibus institutus sum et satiari et esurire et abundare et penuriam pati
मैं अभावों के बीच रहने का रहस्य भी जानता हूँ और यह भी जानता हूँ कि सम्पन्नता में कैसे रहा जाता है। कैसा भी समय हो और कैसी भी परिस्थिति चाहे पेट भरा हो और चाहे भूखा, चाहे पास में बहुत कुछ हो और चाहे कुछ भी नहीं, मैंने उन सब में सुखी रहने का भेद सीख लिया है।
omnia possum in eo qui me confortat
जो मुझे शक्ति देता है, उसके द्वारा मैं सभी परिस्थितियों का सामना कर सकता हूँ।
verumtamen bene fecistis communicantes tribulationi meae
कुछ भी हो तुमने मेरे कष्टों में हाथ बटा कर अच्छा ही किया है।
scitis autem et vos Philippenses quod in principio evangelii quando profectus sum a Macedonia nulla mihi ecclesia communicavit in ratione dati et accepti nisi vos soli
हे फिलिप्पियो, तुम तो जानते ही हो, सुसमाचार के प्रचार के उन आरम्भिक दिनों में जब मैंने मकिदुनिया छोड़ा था, तो लेने-देने के विषय में केवल मात्र तुम्हारी कलीसिया को छोड़ कर किसी और कलीसिया ने मेरा हाथ नहीं बटाया था।
quia et Thessalonicam et semel et bis in usum mihi misistis
मैं जब थिस्सिलुनीके में था, मेरी आवश्यकताएँ पूरी करने के लिये तुमने बार बार मुझे सहायता भेजी थी।
non quia quaero datum sed requiro fructum abundantem in rationem vestram
ऐसा नहीं है कि मैं उपहारों का इच्छुक हूँ, बल्कि मैं तो यह चाहता हूँ कि तुम्हारे खाते में लाभ जुड़ता ही चला जाये।
habeo autem omnia et abundo repletus sum acceptis ab Epafrodito quae misistis odorem suavitatis hostiam acceptam placentem Deo
तुमने इपफ्रुदीतुस के हाथों जो उपहार मधुर गंध भेंट के रूप में मेरे पास भेजे हैं वे एक ऐसा स्वीकार करने योग्य बलिदान है जिससे परमेश्वर प्रसन्न होता है। उन उपहारों के कारण मेरे पास मेरी आवश्यकता से कहीं अधिक हो गया है, मुझे पूरी तरह दिया गया है, बल्कि उससे भी अधिक भरपूर दिया गया है। वे वस्तुएँ मधुर गंध भेंट के रूप में हैं, एक ऐसा स्वीकार करने योग्य बलिदान जिससे परमेश्वर प्रसन्न होता है।
Deus autem meus impleat omne desiderium vestrum secundum divitias suas in gloria in Christo Iesu
मेरा परमेश्वर तुम्हारी सभी आवश्यकताओं को मसीह यीशु में प्राप्त अपने भव्य धन से पूरा करेगा।
Deo autem et Patri nostro gloria in saecula saeculorum amen
हमारे परम पिता परमेश्वर की सदा सदा महिमा होती रहे। आमीन।
salutate omnem sanctum in Christo Iesu salutant vos qui mecum sunt fratres
मसीह यीशु के हर एक संत को नमस्कार। मेरे साथ जो भाई हैं, तुम्हें नमस्कार करते हैं।
salutant vos omnes sancti maxime autem qui de Caesaris domo sunt
तुम्हें सभी संत और विशेष कर कैसर परिवार के लोग नमस्कार करते हैं।
gratia Domini Iesu Christi cum spiritu vestro amen
तुम में से हर एक पर हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम्हारी आत्मा के साथ रहे।