उसी तरह जब कोई व्यक्ति मर जाता है
वह नीचे लेट जाता है
और वह महानिद्रा से फिर खड़ा नहीं होता।
वैसे ही वह व्यक्ति जो प्राण त्यागता है
कभी खड़ा नहीं होता अथवा चिर निद्रा नहीं त्यागता
जब तक आकाश विलुप्त नहीं होंगे।
وفات پانے والے کا یہی حال ہے۔ وہ لیٹ جاتا اور کبھی نہیں اُٹھے گا۔ جب تک آسمان قائم ہے نہ وہ جاگ اُٹھے گا، نہ اُسے جگایا جائے گا۔
“काश! तू मुझे मेरी कब्र में मुझे छुपा लेता
जब तक तेरा क्रोध न बीत जाता।
फिर कोई समय मेरे लिये नियुक्त करके तू मुझे याद करता।
کاش تُو مجھے پاتال میں چھپا دیتا، مجھے وہاں اُس وقت تک پوشیدہ رکھتا جب تک تیرا قہر ٹھنڈا نہ ہو جاتا! کاش تُو ایک وقت مقرر کرے جب تُو میرا دوبارہ خیال کرے گا۔
यदि कोई मनुष्य मर जाये तो क्या जीवन कभी पायेगा?
मैं तब तक बाट जोहूँगा, जब तक मेरा कर्तव्य पूरा नहीं हो जाता और जब तक मैं मुक्त न हो जाऊँ।
(کیونکہ اگر انسان مر جائے تو کیا وہ دوبارہ زندہ ہو جائے گا؟) پھر مَیں اپنی سخت خدمت کے تمام دن برداشت کرتا، اُس وقت تک انتظار کرتا جب تک میری سبک دوشی نہ ہو جاتی۔
जल पत्थरों के ऊपर से बहता है और उन को घिस डालता है
तथा धरती की मिट्टी को जल बहाकर ले जाती है।
हे परमेश्वर, उसी तरह व्यक्ति की आशा को तू बहा ले जाता है।
جس طرح بہتا پانی پتھر کو رگڑ رگڑ کر ختم کرتا اور سیلاب مٹی کو بہا لے جاتا ہے اُسی طرح تُو انسان کی اُمید خاک میں ملا دیتا ہے۔