वह दिन अंधकार भरा होगा,
वह दिन उदासी का होगा, वह दिन काला होगा और वह दिन दुर्दिन होगा।
भोर की पहली किरण के साथ तुम्हें पहाड़ पर सेना फैलती हुई दिखाई देगी।
वह सेना विशाल और शक्तिशीली भी होगी।
ऐसा पहले तो कभी भी घटा नहीं था
और आगे भी कभी ऐसा नहीं घटेगा, न ही भूत काल में, न ही भविष्य में।
Jour de ténèbres et d'obscurité, Jour de nuées et de brouillards, Il vient comme l'aurore se répand sur les montagnes. Voici un peuple nombreux et puissant, Tel qu'il n'y en a jamais eu, Et qu'il n'y en aura jamais dans la suite des âges.