«أَيُّهَا الرِّجَالُ، لِمَاذَا تَفْعَلُونَ هذَا؟ نَحْنُ أَيْضًا بَشَرٌ تَحْتَ آلاَمٍ مِثْلُكُمْ، نُبَشِّرُكُمْ أَنْ تَرْجِعُوا مِنْ هذِهِ الأَبَاطِيلِ إِلَى الإِلهِ الْحَيِّ الَّذِي خَلَقَ السَّمَاءَ وَالأَرْضَ وَالْبَحْرَ وَكُلَّ مَا فِيهَا،
“हे लोगो, तुम यह क्यों कर रहे हो? हम भी वैसे ही मनुष्य हैं, जैसे तुम हो। यहाँ हम तुम्हें सुसमाचार सुनाने आये हैं ताकि तुम इन व्यर्थ की बातों से मुड़ कर उस सजीव परमेश्वर की ओर लौटो जिसने आकाश, धरती, सागर और इनमें जो कुछ है, उसकी रचना की।