John 17

ये बातें कहकर यीशु ने आकाश की ओर देखा और बोला, “हे परम पिता, वह घड़ी आ पहुँची है अपने पुत्र को महिमा प्रदान कर ताकि तेरा पुत्र तेरी महिमा कर सके।
تَكَلَّمَ يَسُوعُ بِهذَا وَرَفَعَ عَيْنَيْهِ نَحْوَ السَّمَاءِ وَقَالَ:«أَيُّهَا الآبُ، قَدْ أَتَتِ السَّاعَةُ. مَجِّدِ ابْنَكَ لِيُمَجِّدَكَ ابْنُكَ أَيْضًا،
तूने उसे समूची मनुष्य जाति पर अधिकार दिया है कि वह, हर उसको, जिसको तूने उसे दिया है, अनन्त जीवन दे।
إِذْ أَعْطَيْتَهُ سُلْطَانًا عَلَى كُلِّ جَسَدٍ لِيُعْطِيَ حَيَاةً أَبَدِيَّةً لِكُلِّ مَنْ أَعْطَيْتَهُ.
अनन्त जीवन यह है कि वे तुझे एकमात्र सच्चे परमेश्वर और यीशु मसीह को, जिसे तूने भेजा है, जानें।
وَهذِهِ هِيَ الْحَيَاةُ الأَبَدِيَّةُ: أَنْ يَعْرِفُوكَ أَنْتَ الإِلهَ الْحَقِيقِيَّ وَحْدَكَ وَيَسُوعَ الْمَسِيحَ الَّذِي أَرْسَلْتَهُ.
जो काम तूने मुझे सौंपे थे, उन्हें पूरा करके जगत में मैंने तुझे महिमावान किया है।
أَنَا مَجَّدْتُكَ عَلَى الأَرْضِ. الْعَمَلَ الَّذِي أَعْطَيْتَنِي لأَعْمَلَ قَدْ أَكْمَلْتُهُ.
इसलिये अब तू अपने साथ मुझे भी महिमावान कर। हे परम पिता! वही महिमा मुझे दे जो जगत से पहले, तेरे साथ मुझे प्राप्त थी।
وَالآنَ مَجِّدْنِي أَنْتَ أَيُّهَا الآبُ عِنْدَ ذَاتِكَ بِالْمَجْدِ الَّذِي كَانَ لِي عِنْدَكَ قَبْلَ كَوْنِ الْعَالَمِ.
“जगत से जिन मनुष्यों को तूने मुझे दिया, मैंने उन्हें तेरे नाम का बोध कराया है। वे लोग तेरे थे किन्तु तूने उन्हें मुझे दिया और उन्होंने तेरे वचन का पालन किया।
«أَنَا أَظْهَرْتُ اسْمَكَ لِلنَّاسِ الَّذِينَ أَعْطَيْتَنِي مِنَ الْعَالَمِ. كَانُوا لَكَ وَأَعْطَيْتَهُمْ لِي، وَقَدْ حَفِظُوا كَلاَمَكَ.
अब वे जानते हैं कि हर वह वस्तु जो तूने मुझे दी है, वह तुझ ही से आती है।
وَالآنَ عَلِمُوا أَنَّ كُلَّ مَا أَعْطَيْتَنِي هُوَ مِنْ عِنْدِكَ،
मैंने उन्हें वे ही उपदेश दिये हैं जो तूने मुझे दिये थे और उन्होंने उनको ग्रहण किया। वे निश्चयपूर्वक जानते हैं कि मैं तुझसे ही आया हूँ। और उन्हें विश्वास हो गया है कि तूने मुझे भेजा है।
لأَنَّ الْكَلاَمَ الَّذِي أَعْطَيْتَنِي قَدْ أَعْطَيْتُهُمْ، وَهُمْ قَبِلُوا وَعَلِمُوا يَقِينًا أَنِّي خَرَجْتُ مِنْ عِنْدِكَ، وَآمَنُوا أَنَّكَ أَنْتَ أَرْسَلْتَنِي.
मैं उनके लिये प्रार्थना कर रहा हूँ। मैं जगत के लिये प्रार्थना नहीं कर रहा हूँ बल्कि उनके लिए कर रहा हूँ जिन्हें तूने मुझे दिया है, क्योंकि वे तेरे हैं।
مِنْ أَجْلِهِمْ أَنَا أَسْأَلُ. لَسْتُ أَسْأَلُ مِنْ أَجْلِ الْعَالَمِ، بَلْ مِنْ أَجْلِ الَّذِينَ أَعْطَيْتَنِي لأَنَّهُمْ لَكَ.
वह सब कुछ जो मेरा है, वह तेरा है और जो तेरा है, वह मेरा है। और मैंने उनके द्वारा महिमा पायी है।
وَكُلُّ مَا هُوَ لِي فَهُوَ لَكَ، وَمَا هُوَ لَكَ فَهُوَ لِي، وَأَنَا مُمَجَّدٌ فِيهِمْ.
“मैं अब और अधिक समय जगत में नहीं हूँ किन्तु वे जगत में है अब मैं तेरे पास आ रहा हूँ। हे पवित्र पिता अपने उस नाम की शक्ति से उनकी रक्षा कर जो तूने मुझे दिया है ताकि जैसे तू और मैं एक हैं, वे भी एक हो सकें।
وَلَسْتُ أَنَا بَعْدُ فِي الْعَالَمِ، وَأَمَّا هؤُلاَءِ فَهُمْ فِي الْعَالَمِ، وَأَنَا آتِي إِلَيْكَ. أَيُّهَا الآبُ الْقُدُّوسُ، احْفَظْهُمْ فِي اسْمِكَ الَّذِينَ أَعْطَيْتَنِي، لِيَكُونُوا وَاحِدًا كَمَا نَحْنُ.
जब मैं उनके साथ था, मैंने तेरे उस नाम की शक्ति से उनकी रक्षा की, जो तूने मुझे दिया था। मैंने रक्षा की और उनमें से कोई भी नष्ट नहीं हुआ सिवाय उसके जो विनाश का पुत्र था ताकि शास्त्र का कहना सच हो।
حِينَ كُنْتُ مَعَهُمْ فِي الْعَالَمِ كُنْتُ أَحْفَظُهُمْ فِي اسْمِكَ. الَّذِينَ أَعْطَيْتَنِي حَفِظْتُهُمْ، وَلَمْ يَهْلِكْ مِنْهُمْ أَحَدٌ إِلاَّ ابْنُ الْهَلاَكِ لِيَتِمَّ الْكِتَابُ.
“अब मैं तेरे पास आ रहा हूँ किन्तु ये बातें मैं जगत में रहते हुए कह रहा हूँ ताकि वे अपने हृदयों में मेरे पूर्ण आनन्द को पा सकें।
أَمَّا الآنَ فَإِنِّي آتِي إِلَيْكَ. وَأَتَكَلَّمُ بِهذَا فِي الْعَالَمِ لِيَكُونَ لَهُمْ فَرَحِي كَامِلاً فِيهِمْ.
मैंने तेरा वचन उन्हें दिया है पर संसार ने उनसे घृणा की क्योंकि वे सांसारिक नहीं हैं। वैसे ही जैसे मैं संसार का नहीं हूँ।
أَنَا قَدْ أَعْطَيْتُهُمْ كَلاَمَكَ، وَالْعَالَمُ أَبْغَضَهُمْ لأَنَّهُمْ لَيْسُوا مِنَ الْعَالَمِ، كَمَا أَنِّي أَنَا لَسْتُ مِنَ الْعَالَمِ،
“मैं यह प्रार्थना नहीं कर रहा हूँ कि तू उन्हें संसार से निकाल ले बल्कि यह कि तू उनकी दुष्ट शैतान से रक्षा कर।
لَسْتُ أَسْأَلُ أَنْ تَأْخُذَهُمْ مِنَ الْعَالَمِ بَلْ أَنْ تَحْفَظَهُمْ مِنَ الشِّرِّيرِ.
वे संसार के नहीं हैं, वैसे ही जैसे मैं संसार का नहीं हूँ।
لَيْسُوا مِنَ الْعَالَمِ كَمَا أَنِّي أَنَا لَسْتُ مِنَ الْعَالَمِ.
सत्य के द्वारा तू उन्हें अपनी सेवा के लिये समर्पित कर। तेरा वचन सत्य है।
قَدِّسْهُمْ فِي حَقِّكَ. كَلاَمُكَ هُوَ حَق÷.
जैसे तूने मुझे इस जगत में भेजा है, वैसे ही मैंने उन्हें जगत में भेजा है।
كَمَا أَرْسَلْتَنِي إِلَى الْعَالَمِ أَرْسَلْتُهُمْ أَنَا إِلَى الْعَالَمِ،
मैं उनके लिए अपने को तेरी सेवा में अर्पित कर रहा हूँ ताकि वे भी सत्य के द्वारा स्वयं को तेरी सेवा में अर्पित करें।
وَلأَجْلِهِمْ أُقَدِّسُ أَنَا ذَاتِي، لِيَكُونُوا هُمْ أَيْضًا مُقَدَّسِينَ فِي الْحَقِّ.
“किन्तु मैं केवल उन ही के लिये प्रार्थना नहीं कर रहा हूँ बल्कि उनके लिये भी जो इनके उपदेशों द्वारा मुझ में विश्वास करेंगे।
«وَلَسْتُ أَسْأَلُ مِنْ أَجْلِ هؤُلاَءِ فَقَطْ، بَلْ أَيْضًا مِنْ أَجْلِ الَّذِينَ يُؤْمِنُونَ بِي بِكَلاَمِهِمْ،
वे सब एक हों। वैसे ही जैसे हे परम पिता तू मुझ में है और मैं तुझ में। वे भी हममें एक हों। ताकि जगत विश्वास करे कि मुझे तूने भेजा है।
لِيَكُونَ الْجَمِيعُ وَاحِدًا، كَمَا أَنَّكَ أَنْتَ أَيُّهَا الآبُ فِيَّ وَأَنَا فِيكَ، لِيَكُونُوا هُمْ أَيْضًا وَاحِدًا فِينَا، لِيُؤْمِنَ الْعَالَمُ أَنَّكَ أَرْسَلْتَنِي.
वह महिमा जो तूने मुझे दी है, मैंने उन्हें दी है; ताकि वे भी वैसे ही एक हो सकें जैसे हम एक हों।
وَأَنَا قَدْ أَعْطَيْتُهُمُ الْمَجْدَ الَّذِي أَعْطَيْتَنِي، لِيَكُونُوا وَاحِدًا كَمَا أَنَّنَا نَحْنُ وَاحِدٌ.
मैं उनमें होऊँगा और तू मुझमें होगा, जिससे वे पूर्ण एकता को प्राप्त हों और जगत जान जाये कि मुझे तूने भेजा है और तूने उन्हें भी वैसे ही प्रेम किया है जैसे तू मुझे प्रेम करता है।
أَنَا فِيهِمْ وَأَنْتَ فِيَّ لِيَكُونُوا مُكَمَّلِينَ إِلَى وَاحِدٍ، وَلِيَعْلَمَ الْعَالَمُ أَنَّكَ أَرْسَلْتَنِي، وَأَحْبَبْتَهُمْ كَمَا أَحْبَبْتَنِي.
“हे परम पिता। जो लोग तूने मुझे सौंपे हैं, मैं चाहता हूँ कि जहाँ मैं हूँ, वे भी मेरे साथ हों ताकि वे मेरी उस महिमा को देख सकें जो तूने मुझे दी है। क्योंकि सृष्टि की रचना से भी पहले तूने मुझसे प्रेम किया है।
أَيُّهَا الآبُ أُرِيدُ أَنَّ هؤُلاَءِ الَّذِينَ أَعْطَيْتَنِي يَكُونُونَ مَعِي حَيْثُ أَكُونُ أَنَا، لِيَنْظُرُوا مَجْدِي الَّذِي أَعْطَيْتَنِي، لأَنَّكَ أَحْبَبْتَنِي قَبْلَ إِنْشَاءِ الْعَالَمِ.
हे धार्मिक-पिता, जगत तुझे नहीं जानता किन्तु मैंने तुझे जान लिया है। और मेरे शिष्य जानते हैं कि मुझे तूने भेजा है।
أَيُّهَا الآبُ الْبَارُّ، إِنَّ الْعَالَمَ لَمْ يَعْرِفْكَ، أَمَّا أَنَا فَعَرَفْتُكَ، وَهؤُلاَءِ عَرَفُوا أَنَّكَ أَنْتَ أَرْسَلْتَنِي.
न केवल मैंने तेरे नाम का उन्हें बोध कराया है बल्कि मैं इसका बोध कराता भी रहूँगा ताकि वह प्रेम जो तूने मुझ पर दर्शाया है उनमें भी हो। और मैं भी उनमें रहूँ।”
وَعَرَّفْتُهُمُ اسْمَكَ وَسَأُعَرِّفُهُمْ، لِيَكُونَ فِيهِمُ الْحُبُّ الَّذِي أَحْبَبْتَنِي بِهِ، وَأَكُونَ أَنَا فِيهِمْ».