فَيَقُولُ لَهُ الرَّجُلُ: «لِيُحْرِقُوا أَوَّلاً الشَّحْمَ، ثُمَّ خُذْ مَا تَشْتَهِيهِ نَفْسُكَ». فَيَقُولُ لَهُ: «لاَ، بَلِ الآنَ تُعْطِي وَإِلاَّ فَآخُذُ غَصْبًا».
बलि—भेंट करने वाला व्यक्ति यह कह सकता था, “पहले चर्बी जलाओ, तब तुम जो चाहो ले सकते हो।” यदि ऐसा होता तो याजक का सेवक उत्तर देता: “नहीं, मुझे अभी माँस दो, यदि तुम मुझे यह नहीं देते हो तो मैं इसे तुमसे ले ही लूँगा।”