“मैं इस्राएल के लोगों को, उनके डेरे बीमारियों व रोगों से मुक्त रखने का आदेश देता हूँ। इस्राएल के लोगों से कहो कि हर उस व्यक्ति को जो बुरे चर्म रोगों, शरीर से निकलने वाले स्रावों या किसी शव को छूने के कारण अशुद्ध हो गये हैं, उन्हें डेरे से बाहर निकाल दो,
चाहे वे पुरुष हों चाहे स्त्री। उन्हें डेरे से बाहर निकाल दो ताकि वे जिस डेरे में मेरा निवास है उसे वे अशुद्ध न कर दें। मैं तुम्हारे डेरे में तुम लोगों के बीच रह रहा हूँ।”
अतः इस्राएल के लोगों ने परमेश्वर का आदेश माना। उन्होंने उन लोगों को डेरे के बाहर भेज दिया। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था।
इसलिए वह व्यक्ति लोगों को अपने किए गए पाप को बताए। तब यह व्यक्ति अपने बुरे किए गए काम का पूरा भुगतान करे। वह भुगतान में पाँचवाँ हिस्सा जोड़े और उसका भुगतान उसे करे जिसका बुरा उसने किया है।
किन्तु जिस व्यक्ति का उसने बुरा किया है, वह मर भी सकता है और सम्भव है उस मृतक का कोई नजदीकी सम्बन्धी न हो जिसे भुगतान किया जाए। उस स्थिति में, बुरा करने वाला व्यक्ति यहोवा को भुगतान करेगा। वह व्यक्ति पूरा भूतगन याजक को करेगा।याजक को क्षमादान रुपी मेढ़े की बली देनी चाहिए। बुरा करने वाले व्यक्ति के पापों को ढकने के लिए इस मेढ़े की बलि दी जानी चाहिए किन्तु याजक बाकी बचे भुगतान को अपने पास रख सकता है।
उस का किसी दूसरे व्यक्ति के साथ शारीरिक सम्बन्ध हो सकता है और वह इसे अपने पति से छिपा सकती है। कोई ऐसा व्यक्ति भी नहीं होता जो कहे कि उसने यह पाप किया। उसका पति उसे कभी जान भी नहीं सकता जो बुराई उसने की है और वह स्त्री भी अपने पति से अपने पाप के बारे में नहीं कहेगी।
यदि ऐसा होता है तो वह अपनी पत्नी को याजक के पास ले जाए। पति एक भेंट भी ले जाएगा। यह भेंट 1/10 एपा जौं का आटा होगा। यह उसे जौं के आटे पर तेल या सुगन्धित नहीं डालनी चाहिये। यह जौं का आटा यहोवा को अन्नबलि है. यह इसलिए दिया जाता कि पति ईर्ष्यालु है। यह भेंट यही संकेत करेगी कि उसे विस्वास है कि उसकी पत्नी पतिव्रता नहीं है।
याजक स्त्री को यहोवा के सामने खड़ा रहने के लिए विवश करेगा। तब वह उसके बाल खोलेगा और उसके हाथ में अन्नबलि देगा। यह जौ का आटा होगा जिसे उसके पति ने ईर्ष्या के कारण उसे दिया था। उसी समय वह विशेष कड़वे जल वाले मिट्टी के घड़े को पकड़े रहेगा। यह विशेष कड़वा जल ही है जो स्त्री को परेशानी पैदा करता है।
“तब याजक स्त्री से कहेगा कि उसे झूठ नहीं बोलना चाहिए। उसे सत्य बोलने का वचन देना चाहिए। याजक उससे कहेगाः यदि तुम दूसरे व्यक्ति के साथ नहीं सोई हो, और तुमने अपने पति के विरुद्ध पाप नहीं किया है, जबकि तुम्हारा विवाह उसके साथ हुआ है, तो यह कड़वा जल तुमको हानि नहीं पहुँचाएगा।
किन्तु यदि तुमने अपने पति के विरुद्ध पाप किया है, यदि तुम किसी अन्य पुरुष के साथ सोई हो तो तुम शुद्ध नहीं हो। क्यों क्योंकि जो तुम्हारे साथ सोया है तुम्हारा पति नहीं है और उसने तुम्हें अशुद्ध बनाया है।
इसलिए जब तुम इस विशेष जल को पीओगी तो तुम्हें बहुत परेशानी होगी। तुम्हारा पेट फूल जाएगा और तुम कोई बच्चा उत्पन्न नहीं कर सकोगी। यदि तुम गर्भवती हो, तो तुम्हारा बच्चा मर जाएगा। तब तुम्हारे लोग तुम्हे छोड़ देंगे और वे तुम्हारे बारे में बुरी बातें कहेंगे। “तब याजक को स्त्री से यहोवा को विशेष वचन देने के लिए कहना चाहिए। स्त्री को स्वीकार करना चाहिए कि ये बुरी बातें उसे होंगी, यदि वह झूठ बोलेगी।
याजक को कहना चाहिए, तुम इस जल को लोगी जो तुम्हारे शरीर में परेशानी उत्पन्न करेगा। यदि तुमने पाप किया है तो तुम बच्चों को जन्म नहीं दे सकोगी और यदि तुम्हारा कोई बच्चा गर्भ में है तो वह जन्म लेने के पहले मर जाएगा। तब स्त्री को कहना चाहिएः मैं वह स्वीकार करती हूँ जो आप कहते हैं।
यदि स्त्री ने पति के विरुद्ध पाप किया होगा, तो पानी उसे परेशान करेगा। पानी उसके शरीर में जाएगा और उसे बहुत कष्ट देगा और कोई बच्चा जो उसके गर्भ में होगा, पैदा होने से पहले मर जाएगा और वह कभी बच्चे को जन्म नहीं दे सकेगी। सभी लोग उसके विरुद्ध हो जायेंगे।
किन्तु यदि स्त्री ने पति के विरुद्ध पाप नहीं किया है तो वह पवित्र है, फिर याजक घोषणा करेगा कि वह अपराधी नहीं है और बच्चों को जन्म देने के योग्य हो जाएगी।
या यदि कोई व्यक्ति ईर्ष्या करता है और अपनी पत्नी के सम्बन्ध में शंका करता है कि उसने उसके विरुद्ध पाप किया है तो व्यक्ति को यही करना चाहिए। याजक को कहना चाहिए कि वह स्त्री यहोवा के सामने खड़ी हो। तब याजक इन सभी कार्यों को करेगा। यही नियम है।