शमौन पतरस ने उनसे कहा, “मैं मछली पकड़ने जा रहा हूँ।” वे उससे बोले, “हम भी तेरे साथ चल रहे हैं।” तो वे उसके साथ चल दिये और नाव में बैठ गये। पर उस रात वे कुछ नहीं पकड़ पाये।
फिर उसने कहा, “नाव की दाहिनी तरफ़ जाल फेंको तो तुम्हें कुछ मिलेगा।” सो उन्होंने जाल फेंका किन्तु बहुत अधिक मछलियों के कारण वे जाल को वापस खेंच नहीं सके।
फिर यीशु के प्रिय शिष्य ने पतरस से कहा, “यह तो प्रभु है।” जब शमौन ने यह सुना कि वह प्रभु है तो उसने अपना बाहर पहनने का वस्त्र कस लिया। (क्योंकि वह नंगा था।) और पानी में कूद पड़ा।
जब वे भोजन कर चुके तो यीशु ने शमौन पतरस से कहा, “यूहन्ना के पुत्र शमौन, जितना प्रेम ये मुझ से करते हैं, तू मुझसे उससे अधिक प्रेम करता है?” पतरस ने यीशु से कहा, “हाँ प्रभु, तू जानता है कि मैं तुझे प्रेम करता हूँ।” यीशु ने पतरस से कहा, “मेरे मेमनों की रखवाली कर।”
वह उससे दोबारा बोला, “यूहन्ना के पुत्र शमौन, क्या तू मुझे प्रेम करता है?” पतरस ने यीशु से कहा, “हाँ प्रभु, तू जानता है कि मैं तुझे प्रेम करता हूँ।” यीशु ने पतरस से कहा, “मेरी भेड़ों की रखवाली कर।”
यीशु ने फिर तीसरी बार पतरस से कहा, “यूहन्ना के पुत्र शमौन, क्या तू मुझे प्रेम करता है?” पतरस बहुत व्यथित हुआ कि यीशु ने उससे तीसरी बार यह पूछा, “क्या तू मुझसे प्रेम करता है?” सो पतरस ने यीशु से कहा, “हे प्रभु, तू सब कुछ जानता है, तू जानता है कि मैं तुझसे प्रेम करता हूँ।” यीशु ने उससे कहा, “मेरी भेड़ों को चरा।
मैं तुझसे सत्य कहता हूँ, जब तू जवान था, तब तू अपनी कमर पर फेंटा कस कर, जहाँ चाहता था, चला जाता था। पर जब तू बूढा होगा, तो हाथ पसारेगा और कोई दूसरा तुझे बाँधकर जहाँ तू नहीं जाना चाहता, वहाँ ले जायेगा।”
पतरस पीछे मुड़ा और देखा कि वह शिष्य जिसे यीशु प्रेम करता था, उनके पीछे आ रहा है। (यह वही था जिसने भोजन करते समय उसकी छाती पर झुककर पूछा था, “हे प्रभु, वह कौन है, जो तुझे धोखे से पकड़वायेगा?”)
इस तरह यह बात भाईयों में यहाँ तक फैल गयी कि वह शिष्य नहीं मरेगा। यीशु ने यह नहीं कहा था कि वह नहीं मरेगा। बल्कि यह कहा था, “यदि मैं यह चाहूँ कि जब तक मैं आऊँ, यह यहीं रहे, तो तुझे क्या?”
यीशु ने और भी बहुत से काम किये। यदि एक-एक करके वे सब लिखे जाते तो मैं सोचता हूँ कि जो पुस्तकें लिखी जातीं वे इतनी अधिक होतीं कि समूची धरती पर नहीं समा पातीं।