Psalms 57

हे परमेश्वर, मुझ पर करूणा कर। मुझ पर दयालु हो क्योंकि मेरे मन की आस्था तुझमें है। मैं तेरे पास तेरी ओट पाने को आया हूँ। जब तक संकट दूर न हो।
invocabo Deum altissimum Deum ultorem meum
हे परमेश्वर, मैं सहायता पाने के लिये विनती करता हूँ। परमेश्वर मेरी पूरी तरह ध्यान रखता है।
mittet de caelo et salvabit me exprobrabit conculcantibus me semper mittet Deus misericordiam suam et veritatem suam
वह मेरी सहायता स्वर्ग से करता है, और वह मुझको बचा लेता है। जो लोग मुझको सताया करते हैं, वह उनको हराता है। परमेश्वर मुझ पर निज सच्चा प्रेम दर्शाता है।
anima mea in medio leonum dormivit ferocientium filii hominum dentes eorum lancea et sagittae et lingua eorum gladius acutus
मेरे शत्रुओं ने मुझे चारों ओर से घेर लिया है। मेरे प्राण संकट में है। वे ऐसे हैं, जैसे नरभक्षी सिंह और उनके तेज दाँत भालों और तीरों से और उनकी जीभ तेज तलवार की सी है।
exaltare super caelos Deus in omni terra gloria tua
हे परमेश्वर, तू महान है। तेरी महिमा धरती पर छायी है, जो आकाश से ऊँची है।
rete paraverunt gressibus meis ad incurvandam animam meam foderunt ante me foveam ceciderunt in medium eius semper
मेरे शत्रुओं ने मेरे लिए जाल फैलाया है। मुझको फँसाने का वे जतन कर रहे हैं। उन्होंने मेरे लिए गहरा गड्ढा खोदा है, कि मैं उसमें गिर जाऊँ।
paratum cor meum Deus paratum cor meum cantabo et psallam
किन्तु परमेश्वर मेरी रक्षा करेगा। मेरा भरोसा है, कि वह मेरे साहस को बनाये रखेगा। मैं उसके यश गाथा को गाया करूँगा।
surge gloria mea surge psalterium et cithara surgam mane
मेरे मन खड़े हो! ओ सितारों और वीणाओं! बजना प्रारम्भ करो। आओ, हम मिलकर प्रभात को जगायें।
confitebor tibi in populis Domine cantabo tibi in gentibus
हे मेरे स्वमी, हर किसी के लिए, मैं तेरा यश गाता हूँ। मैं तेरी यश गाथा हर किसी राष्ट्र को सुनाता हूँ।
quia magna usque ad caelos misericordia tua et usque ad nubes veritas tua
तेरा सच्चा प्रेम अम्बर के सर्वोच्च मेघों से भी ऊँचा है।
exaltare super caelos Deus in omni terra gloria tua
परमेश्वर महान है, आकाश से ऊँची, उसकी महिमा धरती पर छा जाये।
victori ut non disperdas David humilem et simplicem si vere utique iustitiam loquimini recta iudicate filii hominum