जितना एक राजा कर सकता है, उससे अधिक कोई भी व्यक्ति नहीं कर सकता। तुम जो भी कुछ करना चाह सकते हो, वह सबकुछ कोई राजा अब तक कर भी चुका होगा। मेरी समझ में आ गया कि एक राजा तक जिन कामों को करता है, वे सब भी व्यर्थ हैं। सो मैंने फिर बुद्धिमान बनने, मूर्ख बनने और सनकीपन के कामों को करने के बारे में सोचना आरम्भ किया।
پھر مَیں حکمت، بےہودگی اور حماقت پر غور کرنے لگا۔ مَیں نے سوچا، جو آدمی بادشاہ کی وفات پر تخت نشین ہو گا وہ کیا کرے گا؟ وہی کچھ جو پہلے بھی کیا جا چکا ہے!