S'il nous survient quelque calamité, l'épée, le jugement, la peste ou la famine, nous nous présenterons devant cette maison et devant toi, car ton nom est dans cette maison, nous crierons à toi du sein de notre détresse, et tu exauceras et tu sauveras!
उन्होंने कहा, ‘यदि हम लोगों पर आपत्ति आएगी जैसे तलवार, दण्ड, रोग या अकाल तो हम इस मन्दिर के सामने और तेरे सामने खड़े होंगे। इस मन्दिर पर तेरा नाम है। जब हम लोगों पर विपत्ति आएगी तो हम लोग तुझको पुकारेंगे। तब तू हमारी सुनेगा और हमारी रक्षा करेगा।’