فِي كُلِّ دَعْوَى جِنَايَةٍ، مِنْ جِهَةِ ثَوْرٍ أَوْ حِمَارٍ أَوْ شَاةٍ أَوْ ثَوْبٍ أَوْ مَفْقُودٍ مَا، يُقَالُ: إِنَّ هذَا هُوَ، تُقَدَّمُ إِلَى اللهِ دَعْوَاهُمَا. فَالَّذِي يَحْكُمُ اللهُ بِذَنْبِهِ، يُعَوِّضُ صَاحِبَهُ بِاثْنَيْنِ.
“यदि दो व्यक्ति किसी खोए बैल, गधा, भेड़, वस्त्र, यदि किसी अन्य खोई हुई चीज़ के बारे में सहमत न हों तो तुम क्या करोगे? एक व्यक्ति कहता है, ‘यह मेरी है।’ और दूसरा कहता है, ‘नहीं, यह मेरी है।’ दोनों व्यक्ति परमेश्वर के सामने जाएँ। परमेश्वर निर्णय करेगा कि अपराधी कौन है। जिस व्यक्ति को परमेश्वर अपराधी पाएगा वह उस चीज़ के मूल्य से दुगुना भुगतान करे।