Deuteronomy 8

omne mandatum quod ego praecipio tibi hodie cave diligenter ut facias ut possitis vivere et multiplicemini ingressique possideatis terram pro qua iuravit Dominus patribus vestris
“तुम्हें आज जो आदेश दे रहा हूँ उसे ध्यान से सुनना और उनका पालन करना चाहिए। क्योंकि तब तुम जीवित रहोगे। तुम्हारी संख्या अधिक से अधिक होती जाएगी। तुम उस देश में जाओगे और उसमें रहोगे जिसे यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों को देने का वचन दिया है
et recordaberis cuncti itineris per quod adduxit te Dominus Deus tuus quadraginta annis per desertum ut adfligeret te atque temptaret et nota fierent quae in tuo animo versabantur utrum custodires mandata illius an non
और तुम्हें उस लम्बी यात्रा को याद रखना है जिसे यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने मरुभूमि में चालीस वर्ष तक काराई है। यहोवा तुम्हारी परीक्षा ले रहा था। वह तुम्हें विनम्र बनाना चाहता था। वह चाहता था कि वह तुम्हारे हृदय की बात जाने कि तुम उसके आदेशों का पालन करोगे या नहीं।
adflixit te penuria et dedit tibi cibum manna quem ignorabas tu et patres tui ut ostenderet tibi quod non in solo pane vivat homo sed in omni verbo quod egreditur ex ore Domini
यहोवा ने तुमको विनम्र बनाया और तुम्हें भूखा रहने दिया। तब उसने तुम्हें मन्ना खिलाया, जिसे तुम पहले से नहीं जानते थे, जिसे तुम्हारे पूर्वजों ने कभी नहीं देखा था। यहोवा ने यह क्यों किया? क्योंकि वह चाहता था कि तुम जानो कि केवल रोटी ही ऐसी नहीं है जो लोगों को जीवित रखती है। लोगों का जीवन यहोवा के वचन पर आधारित है।
vestimentum tuum quo operiebaris nequaquam vetustate defecit et pes tuus non est subtritus en quadragesimus annus est
इन पिछले चालीस वर्षों में तुम्हारे वस्त्र फटे नहीं और यहोवा ने तुम्हारे पैरों की रक्षा सूजन से भी की।
ut recogites in corde tuo quia sicut erudit homo filium suum sic Dominus Deus tuus erudivit te
इसलिए तुम्हें जानना चाहिए कि यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें शिक्षित करने और सुधारने के लिए वह सब वैसे ही किया जैसे कोई पिता अपने पुत्र की शिक्षा के लिए करता है।
ut custodias mandata Domini Dei tui et ambules in viis eius et timeas eum
“तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन करना चाहिए। उसके बताए मार्ग पर जीवन बिताओ और उसका सम्मान करो।
Dominus enim Deus tuus introducet te in terram bonam terram rivorum aquarumque et fontium in cuius campis et montibus erumpunt fluviorum abyssi
यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें एक अच्छे देश में ले जा रहा है, ऐसे देश में जिसमें नदियाँ और पानी के ऐसे सोते हैं जिनसे जमीन से पानी घाटियों और पहाड़ियों में बहता है।
terram frumenti hordei vinearum in qua ficus et mala granata et oliveta nascuntur terram olei ac mellis
यह ऐसा देश है जिसमें गेहूँ, जौ, अंगूर की बेलें, अंजीर के पेड़ और अनार होते हैं। यह ऐसा देश है जिसमें जैतून का तेल और शहद होता है।
ubi absque ulla penuria comedes panem tuum et rerum omnium abundantia perfrueris cuius lapides ferrum sunt et de montibus eius aeris metalla fodiuntur
वहाँ तुम्हें बहुत अधिक भोजन मिलेगा। तुम्हें वहाँ किसी चीज की कमी नहीं होगी। यह ऐसा देश है जहाँ लोहे की चट्टाने हैं। तुम पहाड़ियों से तांबा खोद सकते हो।
ut cum comederis et satiatus fueris benedicas Domino Deo tuo pro terra optima quam dedit tibi
तुम्हारे खाने के लिए पर्याप्त होगा और तुम संतुष्ट होगे। तब तुम यहोवा अपने परमेश्वर की प्रशंसा करोगे कि उसने तुम्हें ऐसा अच्छा देश दिया।
observa et cave nequando obliviscaris Domini Dei tui et neglegas mandata eius atque iudicia et caerimonias quas ego praecipio tibi hodie
“सावधान रहो, यहोवा अपने परमेश्वर को न भूलो। सावधान रहो कि आज मैं जिन आदेशों, विधियों और नियमों को दे रहा हूँ उनका पालन हो।
ne postquam comederis et satiatus domos pulchras aedificaveris et habitaveris in eis
तुम्हारे खाने के लिए बहुत अधिक होगा और तुम अच्छे मकान बनाओगे और उनमें रहोगे।
habuerisque armenta et ovium greges argenti et auri cunctarumque rerum copiam
तुम्हारे गाय, मवेशी और भेड़ों के झुण्ड बहुत बड़े होंगे, तुम अधिक से अधिक सोना और चाँदी पाओगे और तुम्हारे पास बहुत सी चीजें होंगी।
elevetur cor tuum et non reminiscaris Domini Dei tui qui eduxit te de terra Aegypti de domo servitutis
जब ऐसा होगा तो तुम्हें सावधान रहना चाहिए कि तुम्हें घमण्ड न हो। तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर को नहीं भूलना चाहिए। वह तुमको मिस्र से लाया, जहाँ तुम दास थे।
et ductor tuus fuit in solitudine magna atque terribili in qua erat serpens flatu adurens et scorpio ac dipsas et nullae omnino aquae qui eduxit rivos de petra durissima
यहोवा तुम्हें विशाल और भयंकर मरुभूमि से लाया। जहरीले साँप और बिच्छु उस मरुभूमि में थे। जमीन शुष्क थी और कहीं पानी नहीं था। किन्तु यहोवा ने चट्टान के नीचे से पानी दिया।
et cibavit te manna in solitudine quod nescierunt patres tui et postquam adflixit ac probavit ad extremum misertus est tui
मरुभूमि में यहोवा ने तुम्हें मन्ना खिलाया, ऐसी चीज जिसे तुम्हारे पूर्वज कभी नहीं जान सके। यहोवा ने तुम्हारी परिक्षा ली। क्यों? क्योंकि यहोवा तुमको विनम्र बनाना चाहता था। वह चाहता था कि अन्ततः तुम्हारा भला हो।
ne diceres in corde tuo fortitudo mea et robur manus meae haec mihi omnia praestiterunt
अपने मन में कभी ऐसा न सोचो, ‘मैंने यह सारी सम्पत्ति अपनी शक्ति और योग्यता से पाई है।’
sed recorderis Domini Dei tui quod ipse tibi vires praebuerit ut impleret pactum suum super quo iuravit patribus tuis sicut praesens indicat dies
यहोवा अपने परमेश्वर को याद रखो। याद रखो कि वह ही एक है जो तुम्हें ये कार्य करने की शक्ति देता है। यहोवा ऐसा क्यों करता है? क्योंकि इन दिनों वह तुम्हारे पूर्वजों के साथ की गई वाचा को पूरा कर रहा है।
sin autem oblitus Domini Dei tui secutus fueris alienos deos coluerisque illos et adoraveris ecce nunc praedico tibi quod omnino dispereas
“यहोवा अपने परमेश्वर को कभी न भूलो। तुम किसी दूसरे देवता की पूजा या सेवा के लिए उसका अनुसरण न करो! यदि तुम ऐसा करोगे तो मैं तुम्हें आज चेतावनी देता हूँ तुम निश्चय ही नष्ट कर दिये जाओगे!
sicut gentes quas delevit Dominus in introitu tuo ita et vos peribitis si inoboedientes fueritis voci Domini Dei vestri
यहोवा तुम्हारे लिए अन्य राष्ट्रों को नष्ट कर रहा है। तुम भी उन्हीं राष्ट्रों की तरह नष्ट हो जाओगे जिन्हें यहोवा तुम्हारे सामने नष्ट कर रहा है। यह होगा क्योंकि तुमने यहोवा अपने परमेश्वर की आज्ञा का पालन नहीं किया।