इस पर एस्तेर ने मोर्दकै को अपना यह उत्तर भिजवाया: “मोर्दकै, जाओ और जाकर सभी यहूदियों को शूशन नगर में इकटठ करो और मेरे लिये उपवास रखो। तीन दिन और तीन रात तक न कुछ खाओ और न कुछ पीओ। तेरी तरह मैं भी उपवास रखूँगी और साथ ही मेरी दासियाँ भी उपवास रखेंगी। हमारे उपवास रखने के बाद मैं राजा के पास जाऊँगी। मैं जानती हूँ कि यदि राजा मुझे न बुलाए तो उसके पास जाना नियम के विरुद्ध है किन्तु चाहे मैं मर ही क्यों न जाऊँ, मेरी हत्या ही क्यों न कर दी जाये, जैसे भी बन पड़ेगा, ऐसा करूँगी।”
”ٹھیک ہے، پھر جائیں اور سوسن میں رہنے والے تمام یہودیوں کو جمع کریں۔ میرے لئے روزہ رکھ کر تین دن اور تین رات نہ کچھ کھائیں، نہ پئیں۔ مَیں بھی اپنی نوکرانیوں کے ساتھ مل کر روزہ رکھوں گی۔ اِس کے بعد بادشاہ کے پاس جاؤں گی، گو یہ قانون کے خلاف ہے۔ اگر مرنا ہے تو مر ہی جاؤں گی۔“