किन्तु मैं तेरी प्रशंसा के गीत गाऊँगा।
हर सुबह मैं तेरे प्रेम में आनन्दित होऊँगा।
क्यों क्योंकि तू पर्वतों के ऊपर मेरा शरणस्थल है।
मैं तेरे पास आ सकता हूँ, जब मुझे विपत्तियाँ घेरेंगी।
Eu, porém, cantarei a tua força; pela manhã louvarei com alegria a tua benignidade, porquanto tens sido para mim uma fortaleza, e refúgio no dia da minha angústia.