Že pak lid tento obloupený jest a potlačený, jehožto mládence, což jich koli, jímají a do žalářů skrývají, že jsou dáni v loupež, aniž jest, kdo by je vytrhl, v rozchvátání, aniž jest, kdo by řekl: Navrať zase,
किन्तु दूसरे लोगों की ओर देखो।
दूसरे लोगों ने उनको हरा दिया और जो कुछ उनका था,छीन लिया।
काल कोठरियों में वे सब फँसे हैं,
कारागरों के भीतर वे बन्दी हैं।
लोगों ने उनसे उनका धन छीन लिया है
और कोई व्यक्ति ऐसा नहीं जो उनको बचा ले।
दूसरे लोगों ने उनका धन छीन लिया
और कोई व्यक्ति ऐसा नहीं जो कहे “इसको वापस करो!”