这样,我们可说什么呢?律法是罪么?断乎不是!只是非因律法,我就不知何为罪。非律法说不可起贪心,我就不知何为贪心。
तो फिर हम क्या कहें? क्या हम कहें कि व्यवस्था पाप है? निश्चय ही नहीं। जो भी हो, यदि व्यवस्था नहीं होती तो मैं पहचान ही नहीं पाता कि पाप क्या है? यदि व्यवस्था नहीं बताती, “जो अनुचित है उसकी चाहत मत करो” तो निश्चय ही मैं पहचान ही नहीं पाता कि अनुचित इच्छा क्या है।