وَلَمْ يَطْرُدْ مَنَسَّى أَهْلَ بَيْتِ شَانَ وَقُرَاهَا، وَلاَ أَهْلَ تَعْنَكَ وَقُرَاهَا، وَلاَ سُكَّانَ دُورَ وَقُرَاهَا، وَلاَ سُكَّانَ يِبْلَعَامَ وَقُرَاهَا، وَلاَ سُكَّانَ مَجِدُّو وَقُرَاهَا. فَعَزَمَ الْكَنْعَانِيُّونَ عَلَى السَّكَنِ فِي تِلْكَ الأَرْضِ.
कनानी लोग बेतशान, तानाक, दोर, यिबलाम, मगिद्दो और उनके चारों ओर के छोटे नगरों में रहते थे। मनश्शे के परिवार समूह के लोग उन लोगों को उन नगरों को छोड़ने के लिये विवश नहीं कर सके थे। इसलिए कनानी लोग वहाँ टिके रहे। उन्होने अपना घर छोड़ने से इन्कार कर दिया।