तीसरे दिन एक युवक सिकलग आया। वह व्यक्ति उस डेरे से आया जहाँ शाऊल था। उस व्यक्ति के वस्त्र फटे थे और उसके सिर पर धूलि थी। वह व्यक्ति दाऊद के पास आया।उसने दाऊद के सामने मूहँ के बल गिरकर दण्डवत् किया।
दाऊद ने उस से कहा, “कृपया मुझे यह बताओ कि युद्ध किसने जीता?” उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, “हमारे लोग युद्ध से भाग गए। युद्ध में अनेकों लोग गिरे और मर गये हैं। शाऊल और उसका पुत्र योनातन दोनों मर गये हैं।”
इसलिये मैं रूका और उसे मार डाला। वह इतनी बुरी तरह घायल था कि मैं समझ गया कि वह जीवित नहीं रह सकता। तब मैंने उसके सिर से मुकुट और भुजा से बाजूबन्द उतारा और मेरे स्वामी, मैं मुकुट और बाजूबन्द यहाँ आपके लिये लाया हूँ।”
वे बहुत दुःखी थे और रोये। उन्होंने शाम तक कुछ खाया नहीं। वे रोये क्योंकि शाऊल और उसका पुत्र योनातन मर गए थे। दाऊद और उसके लोग यहोवा से उन लोगों के लिये रोये जो मर गये थे, और वे इस्राएल के लिये रोये। वे इसलिये रोये कि शाऊल, उसका पुत्र योनातान और बहुत से इस्राएली युद्ध में मारे गये थे।
दाऊद ने उस युवक से बातचीत की जिसने शाऊल की मृत्यु की सूचना दी। दाऊद ने पूछा, “तुम कहाँ के निवासी हो?” युवक ने उत्तर दिया, “मैं एक विदेशी का पुत्र हूँ। मैं अमालेकी हूँ।”
तब दाऊद ने अमालेकी युवक से कहा, “तुम स्वयं अपनी मृत्यु के लिये जिम्मेदार हो। तुमने कहा कि तुमने यहोवा के चुने हुये राजा को मार डाला। इसलिये तुम्हारे स्वयं के शब्दों ने तुम्हें अपराधी सिद्ध किया है।” तब दाऊद ने अपने सेवक युवकों में से एक युवक को बुलाया और अमालेकी को मार डालने को कहा! इस्राएली युवक ने अमालेकी को मार डाला।
तब दाऊद ने अमालेकी युवक से कहा, “तुम स्वयं अपनी मृत्यु के लिये जिम्मेदार हो। तुमने कहा कि तुमने यहोवा के चुने हुये राजा को मार डाला। इसलिये तुम्हारे स्वयं के शब्दों ने तुम्हें अपराधी सिद्ध किया है।” तब दाऊद ने अपने सेवक युवकों में से एक युवक को बुलाया और अमालेकी को मार डालने को कहा! इस्राएली युवक ने अमालेकी को मार डाला।
“गिलबो के पर्वत पर
ओस और वर्षा न हो,
उन खेतों से आने वाली
बलि—भेंटें न हों।
शक्तिशाली पुरुषों की ढाल वहाँ गन्दी हुई,
शाऊल की ढाल तेल से चमकाई नहीं गई थी।
योनातन के धनुष ने अपने हिस्से के शत्रुओं को मारा,
और शाऊल की तलवार ने अपने हिस्से के शत्रुओं को मारा!
उन्होंने उन व्यक्तियों के खून को छिड़का जो अब मर चुके हैं,
उन्होंने शक्तिशाली व्यक्तियों की चर्बी को नष्ट किया है।
“शाऊल और योनातन, एक दूसरे से प्रेम करते थे।
वे एक दूसरे से सुखी रहे जब तक वे जीवित रहे,
शाऊल योनातन मृत्यु में भी साथ रहे!
वे उकाब से तेज भी जाते थे,
वे सिंह से अधिक शक्तिशाली थे।
मेरे भाई योनातन, मैं तुम्हारे लिये रोता हूँ!
मैंने तुम्हारी मित्रता का सुख इतना पाया,
तुम्हारा प्रेम मेरे प्रति उससे भी अधिक गहरा था,
जितना एक स्त्री का प्रेम होता है।