Zechariah 4

et reversus est angelus qui loquebatur in me et suscitavit me quasi virum qui suscitatur de somno suo
तब जो दूत मझसे बातें कर रहा था, मेरे पास आया और उसने मुझे जगाया। मैं नींद से जागे व्यक्ति की तरह लग रहा था।
et dixit ad me quid tu vides et dixi vidi et ecce candelabrum aureum totum et lampas eius super caput ipsius et septem lucernae eius super illud septem et septem infusoria lucernis quae erant super caput illius
तब दूत ने पूछा, “तुम क्या देखते हो?” मैंने कहा, “मैं एक ठोस सोने का दीवाधार देखता हूँ। उस दीपाधार पर सात दीप हैं और दीपाधार के ऊपरी सिरे पर एक प्याला है। प्याले में से सात नल निकल रहे हैं। हर एक नल हर एक दीप तक जा रहा है। वे नल तेल को हर एक दीप के प्याले तक लाते हैं।
et duae olivae super illud una a dextris lampadis et una a sinistris eius
और दो जैथ्द्यन के पेड़, एक दायी और दूसरा बायीं ओर प्याले के सहारे हैं।”
et respondi et aio ad angelum qui loquebatur in me dicens quid sunt haec domine mi
और तब मैंने, उस दूत से जो मुझसे बातें कर रहा था, पूछा, “महोदय, इन सब का अर्थ क्या है?”
et respondit angelus qui loquebatur in me et dixit ad me numquid nescis quid sunt haec et dixi non domine mi
मुझसे बातें करने वाले दूत ने कहा, “क्या तुम नहीं जानते कि ये सब चीज़ें क्या हैं” मैंने कहा, “नहीं महोदय।”
et respondit et ait ad me dicens hoc est verbum Domini ad Zorobabel dicens non in exercitu nec in robore sed in spiritu meo dicit Dominus exercituum
तब उसने मुझसे कहा, “यह सन्देश यहोवा की ओर से जरुब्बाबेल को है: ‘तुम्हारी शक्ति और प्रभुत्ता से सहायता नहीं मिलेगी। वरन, तुम्हें सहायता मेरी आत्मा से मिलेगी।’ सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कहा!
quis tu mons magne coram Zorobabel in planum et educet lapidem primarium et exaequabit gratiam gratiae eius
वह ऊँचा पर्वत जरूब्बाबेल के लिये समतल भूमि—सा होगा। वह मंदिर को बनायेगा और जब अन्तिम पत्थर उस स्थान पर रखा जाएगा तब लोग चिल्ला उठेंगे— ‘सुन्दर! अति सुन्दर।’”
et factum est verbum Domini ad me dicens
मुझे यहोवा से मिले सन्देश में भी कहा गया,
manus Zorobabel fundaverunt domum istam et manus eius perficient eam et scietis quia Dominus exercituum misit me ad vos
“जरूब्बाबेल मेरे मंदिर की नींव रखेगा और जरूब्बाबेल मंदिर को बनाना पूरा करेगा। लोगों तब तुम समझोगे कि सर्वशक्तिमान यहोवा ने मुझे तुम लोगों के पास भेजा है।
quis enim despexit dies parvos et laetabuntur et videbunt lapidem stagneum in manu Zorobabel septem isti oculi Domini qui discurrunt in universa terra
लोग उस सामान्य आरम्भ से लज्जित नहीं होंगे और वे सचमुच तब प्रसन्न होंगे, जब वे जरूब्बाबेल को पूरी की गई भवन को साहुल से नापते और जांच करते देखेंगे। अत: पत्थर के सात पहलू जिन्हें तुमने देखा वे यहोवा की आँखों के प्रतीक हैं जो हर दिशा में देख रहीं हैं। वे पृथ्वी पर सब कुछ देखती हैं।”
et respondi et dixi ad eum quid sunt duae olivae istae ad dextram candelabri et ad sinistram eius
तब मैंने (जकर्याह) उससे कहा, “मैंने एक जैतून का पेड़ दीपाधार की दायी ओर एक बायीं ओर देखा। उन दोनों जैतून के पेड़ों का तात्पर्य क्या है?”
et respondi secundo et dixi ad eum quid sunt duae spicae olivarum quae sunt iuxta duo rostra aurea in quibus sunt suffusoria ex auro
मैंने उससे यह भी कहा, “मैंने जैतून की दो शाखायें सोने के रंग के तेल को ले जाते, सोने के नलों के सहारे देखीं। इन चीजो का तात्पर्य क्या है?”
et ait ad me dicens numquid nescis quid sunt haec et dixi non domine
तब दूत ने मुझ से कहा, “क्या तुम नहीं जानते कि इन चीजों का तात्पर्य क्या है?” मैंने कहा, “नहीं महोदय।”
et dixit isti duo filii olei qui adsistunt Dominatori universae terrae
अत: उसने कहा, “वे उन दो व्यक्तियों के प्रतीक है, जो सारे संसार में यहोवा की सेवा के लिये चुने गए थे।”