तब यिर्मयाह के शत्रुओं ने कहा, “आओ, हम यिर्मयाह के विरुद्ध षडयन्त्र रचे। निश्चय ही, याजक द्वारा दी गई व्यवस्था की शिक्षा मिटेगी नहीं और बुद्धिमान लोगों की सलाह अब भी हम लोगों को मिलेगी। हम लोगों को नबियों के सन्देश भी मिलेंगे। अत: हम लोग उसके बारे में झूठ बोलें। उससे वह बरबाद होगा। वह जो कुछ कहता है, हम किसी पर ध्यान नहीं देंगे।”
فَقَالُوا: «هَلُمَّ فَنُفَكِّرُ عَلَى إِرْمِيَا أَفْكَارًا، لأَنَّ الشَّرِيعَةَ لاَ تَبِيدُ عَنِ الْكَاهِنِ، وَلاَ الْمَشُورَةَ عَنِ الْحَكِيمِ، وَلاَ الْكَلِمَةَ عَنِ النَّبِيِّ. هَلُمَّ فَنَضْرِبُهُ بِاللِّسَانِ وَلِكُلِّ كَلاَمِهِ لاَ نُصْغِي».