أَحْبَبْتَ الْبِرَّ وَأَبْغَضْتَ الإِثْمَ. مِنْ أَجْلِ ذلِكَ مَسَحَكَ اللهُ إِلهُكَ بِزَيْتِ الابْتِهَاجِ أَكْثَرَ مِنْ شُرَكَائِكَ».
तुझको धार्मिकता ही प्रिय है, तुझको घृणा पापों से रही,
सो परमेश्वर, तेरे परमेश्वर ने तुझको चुना है, और उस आदर का आनन्द दिया। तुझको तेरे साथियों से कहीं अधिक दिया।” भजन संहिता 45:6-7