“मैं गहरी विपत्ति में था।
मैंने यहोवा की दुहाई दी
और उसने मुझको उत्तर दिया!
मैं गहरी कब्र के बीच था हे यहोवा,
मैंने तुझे पुकारा
और तूने मेरी पुकार सुनी!
“तूने मुझको सागर में फेंक दिया था।
तेरी शक्तिशाली लहरों ने मुझे थपेड़े मारे मैं सागर के बीच में,
मैं गहरे से गहरा उतरता चला गया।
मेरे चारों तरफ बस पानी ही पानी था।
“सागर के जल ने मुझे निगल लिया है।
पानी ने मेरा मुख बन्द कर दिया,
और मेरा साँस घुट गया।
मैं गहन सागर के बीच मैं उतरता चला गया
मेरे सिर के चारों ओर शैवाल लिपट गये हैं।
मैं सागर की तलहटी पर पड़ा था,
जहाँ पर्वत जन्म लेते हैं।
मुझको ऐसा लगा, जैसे इस बन्दीगृह के बीच सदा सर्वदा के लिये मुझ पर ताले जड़े हैं।
किन्तु हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तूने मुझको मेरी इस कब्र से निकाल लिया!
हे परमेश्वर, तूने मुझको जीवन दिया!
मुक्ति तो बस केवल यहोवा से आती है!
हे यहोवा, मैं तुझे बलियाँ अर्पित करूँगा,
और तेरे गुण गाऊँगा।
मैं तेरा धन्यवाद करूँगा।”
मैं तेरी मन्नते मानूँगा और अपनी मन्नतों को पूरा करूँगा।”