Du kastade mig i djupet, mitt i havet, och strömmen omslöt mig, alla dina svallande böljor gingo över mig.
फिर मैंने सोचा,
‘अब मैं, जाने को विवश हूँ, जहाँ तेरी दृष्टि मुझे देख नहीं पायेगी।”
किन्तु मैं सहायता पाने को तेरे पवित्र मन्दिर को निहारता रहूँगा।