Psalms 95

आओ हम यहोवा के गुण गाएं! आओ हम उस चट्टान का जय जयकार करें जो हमारी रक्षा करता है।
venite laudemus Dominum iubilemus petrae Iesu nostro
आओ हम यहोवा के लिये धन्यवाद के गीत गाएं। आओ हम उसके प्रशंसा के गीत आनन्दपूर्वक गायें।
praeoccupemus vultum eius in actione gratiarum in canticis iubilemus ei
क्यों? क्योंकि यहोवा महान परमेश्वर है। वह महान राजा सभी अन्य “देवताओं”पर शासन करता है।
quoniam fortis et magnus Dominus et rex magnus super omnes deos
गहरी गुफाएँ और ऊँचे पर्वत यहोवा के हैं।
in cuius manu fundamenta terrae et excelsa montium ipsius sunt
सागर उसका है, उसने उसे बनाया है। परमेश्वर ने स्वयं अपने हाथों से धरती को बनाया है।
cuius est mare ipse enim fecit illud et siccam manus eius plasmaverunt
आओ, हम उसको प्रणाम करें और उसकी उपासना करें। आओ हम परमेश्वर के गुण गाये जिसने हमें बनाया है।
venite adoremus et curvemur flectamus genua ante faciem Domini factoris nostri
वह हमारा परमेश्वर और हम उसके भक्त हैं। यदि हम उसकी सुने तो हम आज उसकी भेड़ हैं।
quia ipse est Deus noster et nos populus pascuae eius et grex manus eius
परमेश्वर कहता है, “तुम जैसे मरिबा और मरूस्थल के मस्सा में कठोर थे वैसे कठोर मत बनो।
hodie si vocem eius audieritis nolite indurare corda vestra
तेरे पूर्वजों ने मुझको परखा था। उन्होंने मुझे परखा, पर तब उन्होंने देखा कि मैं क्या कर सकता हूँ।
sicut in contradictione sicut in die temptationis in deserto ubi temptaverunt me patres vestri probaverunt me et viderunt opus meum
मैं उन लोगों के साथ चालीस वर्ष तक धीरज बनाये रखा। मैं यह भी जानता था कि वे सच्चे नहीं हैं। उन लोगों ने मेरी सीख पर चलने से नकारा।
quadraginta annis displicuit mihi generatio illa et dixi populus errans corde est
सो मैं क्रोधित हुआ और मैंने प्रतिज्ञा की वे मेरे विशाल कि धरती पर कभी प्रवेश नहीं कर पायेंगे।”
et non cognoscens vias meas et iuravi in furore meo ut non introirent in requiem meam