जब कभी वे प्राणी चलते थे, उनके पंख बड़ी तेज ध्वनि करते थे। वह ध्वनि समुद्र के गर्जन जैसी उत्पन्न होती थी। वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर के समीप से निकलने के वाणी के समान थी। वह किसी सेना के जन—समूह के शोर की तरह थी। जब वे प्राणी चलना बन्द करते थे तो वे अपने पंखो को अपनी बगल में समेट लेते थे।
فَلَمَّا سَارَتْ سَمِعْتُ صَوْتَ أَجْنِحَتِهَا كَخَرِيرِ مِيَاهٍ كَثِيرَةٍ، كَصَوْتِ الْقَدِيرِ. صَوْتَ ضَجَّةٍ، كَصَوْتِ جَيْشٍ. وَلَمَّا وَقَفَتْ أَرْخَتْ أَجْنِحَتَهَا.