لِيَضْرِبْنِي الصِّدِّيقُ فَرَحْمَةٌ، وَلْيُوَبِّخْنِي فَزَيْتٌ لِلرَّأْسِ. لاَ يَأْبَى رَأْسِي. لأَنَّ صَلاَتِي بَعْدُ فِي مَصَائِبِهِمْ.
सज्जन मेरा सुधार कर सकता है।
तेरे भक्त जन मेरे दोष कहे, यह मेरे लिये भला होगा।
मैं दुर्जनों कि प्रशंसा ग्रहण नहीं करुँगा।
क्यों क्योंकि मैं सदा प्रार्थना किया करता हूँ।
उन कुकर्मो के विरुद्ध जिनको बुरे लोग किया करते हैं।