وَدَخَلْتُ بَيْتَ شَمْعِيَا بْنِ دَلاَيَا بْنِ مَهِيطَبْئِيلَ وَهُوَ مُغْلَقٌ، فَقَالَ: «لِنَجْتَمِعْ إِلَى بَيْتِ اللهِ إِلَى وَسَطِ الْهَيْكَلِ وَنُقْفِلْ أَبْوَابَ الْهَيْكَلِ، لأَنَّهُمْ يَأْتُونَ لِيَقْتُلُوكَ. فِي اللَّيْلِ يَأْتُونَ لِيَقْتُلُوكَ».
मैं एक दिन दलायाह के पुत्र शमायाह के घर गया। दलायाह महेतबेल का पुत्र था। शमायाह को अपने घर में ही रुकना पड़ता था। शमायाह ने कहा, “नहेमायाह आओ हम परमेश्वर के मन्दिर के भीतर मिलें। आओ चलें भीतर हम मन्दिर के और बन्द द्वारों को कर लें आओ, वैसा करें हम क्यों? क्योंकि लोग हैं आ रहे मारने को तुझको। वे आ रहे हैं आज रात मार डालने को तुझको।”