وَأَمَّا الْحِكْمَةُ الَّتِي مِنْ فَوْقُ فَهِيَ أَوَّلاً طَاهِرَةٌ، ثُمَّ مُسَالِمَةٌ، مُتَرَفِّقَةٌ، مُذْعِنَةٌ، مَمْلُوَّةٌ رَحْمَةً وَأَثْمَارًا صَالِحَةً، عَدِيمَةُ الرَّيْبِ وَالرِّيَاءِ.
किन्तु स्वर्ग से आने वाला ज्ञान सबसे पहले तो पवित्र होता है, फिर शांतिपूर्ण, सहनशील, सहज-प्रसन्न, करुणापूर्ण होता है। और उससे उत्तम कर्मों की फ़सल उपजती है। वह पक्षपात-रहित और सच्चा भी होता है।