لاَ يُخَسِّرْكُمْ أَحَدٌ الْجِعَالَةَ، رَاغِبًا فِي التَّوَاضُعِ وَعِبَادَةِ الْمَلاَئِكَةِ، مُتَدَاخِلاً فِي مَا لَمْ يَنْظُرْهُ، مُنْتَفِخًا بَاطِلاً مِنْ قِبَلِ ذِهْنِهِ الْجَسَدِيِّ،
कोई व्यक्ति जो अपने आप को प्रताड़ित करने के कर्मो या स्वर्गदूतों की उपासना के कामों में लगा हुआ हो, उसे तुम्हें तुम्हारे प्रतिफल को पाने में बाधक नहीं बनने देना चाहिए। ऐसा व्यक्ति सदा ही उन दिव्य दर्शनों की डींगे मारता रहता है जिन्हें उसने देखा है और अपने दुनियावी सोच की वजह से झूठे अभिमान से भरा रहता है।