وَكَانَ مِنْ يَوْمٍ إِلَى يَوْمٍ وَحَسَبَ ذِهَابِ الْمُدَّةِ عِنْدَ نَهَايَةِ سَنَتَيْنِ، أَنَّ أَمْعَاءَهُ خَرَجَتْ بِسَبَبِ مَرَضِهِ، فَمَاتَ بِأَمْرَاضٍ رَدِيَّةٍ، وَلَمْ يَعْمَلْ لَهُ شَعْبُهُ حَرِيقَةً كَحَرِيقَةِ آبَائِهِ.
तब यहोराम की आँतें, दो वर्ष बाद, उसकी बीमारी के कारण, बाहर आ गईं। वह बहुत बुरी पीड़ा में मरा। यहोराम के सम्मान में लोगों ने आग की महाज्वाला नहीं जलाई जैसा उन्होंने उसके पिता के लिये किया था।