فَقَالَ شَاوُلُ لِحَامِلِ سِلاَحِهِ: «اسْتَلَّ سَيْفَكَ وَاطْعَنِّي بِهِ لِئَلاَّ يَأْتِيَ هؤُلاَءِ الْغُلْفُ وَيُقَبِّحُونِي». فَلَمْ يَشَأْ حَامِلُ سِلاَحِهِ لأَنَّهُ خَافَ جِدًّا. فَأَخَذَ شَاوُلُ السَّيْفَ وَسَقَطَ عَلَيْهِ.
तब शाऊल ने अपने कवच वाहक से कहा, “अपनी तलवार बाहर खींचो और इसका उपयोग मुझे मारने में करो। तब वे खतनारहित जब आएंगे तो न मुझे चोट पहुँचायेंगे न ही मेरी हँसी उड़ायेंगे।” किन्तु शाऊल का कवच वाहक भयभीत था। उसने शाऊल को मारना अस्वीकार किया। तब शाऊल ने आपनी तलवार का उपयोग स्वयं को मारने के लिये किया। वह अपनी तलवार की नोक पर गिरा।