बहुत समय पहले, जब न्यायाधीशों का शासन था, तभी एक इतना बुरा समय आया कि लोगों के पास खाने के लिये पर्याप्त भोजन तक न रहा। एलीमेलेक नामक एक व्यक्ति ने तभी यहूदा के बेतलेहेम को छोड़ दिया। वह, अपनी पत्नी और दो पुत्रों के साथ मोआब के पहाड़ी प्रदेश में चला गया।
उसकी पत्नी का नाम नाओमी था और उसके पुत्रों के नाम महलोन और किल्योन थे। ये लोग यहूदा के बेतलेहेम के एप्राती परिवार से थे। इस परिवार ने मोआब के पहाड़ी प्रदेश की यात्रा की और वहीं बस गये।
जब नाओमी मोआब के पहाड़ी प्रदेश में रह रही थी तभी, उसने सुना कि यहोवा ने उसके लोगों की सहायता की है। उसने यहूदा में अपने लोगों को भोजन दिया है। इसलिए नाओमी ने मोआब के पहाड़ी प्रदेश को छोड़ने तथा अपने घर लौटने का निश्चय किया। उसकी पुत्र वधुओं ने भी उसके साथ जाने का निश्चय किया।
तब नाओमी ने अपनी पुत्र वधुओं से कहा, “तुम दोनों को अपने घर अपनी माताओं के पास लौट जाना चाहिए। तुम मेरे तथा मेरे पुत्रों के प्रति बहुत दयालु रही हो। इसलिए मैं प्रार्थाना करती हूँ कि यहोवा तुम पर ऐसे ही दयालु हो।
किन्तु नाओमी ने कहा, “नहीं, पुत्रियों, अपने घर लौट जाओ। तुम मेरे साथ किसलिए जाओगी? मैं तुम्हारी सहायता नहीं कर सकती। मेरे पास अब कोई पुत्र नहीं जो तुम्हारा पति हो सके।
अपने घर लौट जाओ! मैं इतनी वृद्धा हूँ कि नया पति नहीं रख सकती। यहाँ तक कि यदि मैं पुनः विवाह करने की बात सोचूँ तो भी मैं तुम्हारी सहायता नहीं कर सकती। यदि मैं आज की रात ही गर्भवती हो जाऊँ और दो पुत्रों को उत्पन्न करुँ, तो भी इससे तुम्हें सहायता नहीं मिलेगी।
विवाह करने से पूर्व उनके युवक होने तक तुम्हें प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। मैं तुमसे पति की प्रतीक्षा इतने लम्बें समय तक नहीं करवाऊँगी। इससे मुझे बहुत दुःख होगा और मैं तो पहले से ही बहुत दुःखी हूँ। यहोवा ने मेरे साथ बहुत कुछ कर दिया है।”
किन्तु रूत ने कहा, “अपने को छोड़ने के लिये मुझे विवश मत करो! अपने लोगों में लौटने के लिये मुझे विवश मत करो। मुझे अपने साथ चलने दो। जहाँ कहीं तुम जाओगी, मैं सोऊँगी। जहाँ कहीं तुम सोओगी, मैं सोऊँगी। तुम्हारे लोग, मेरे लोग होंगे। तुम्हारा परमेश्वर, मेरा परमेश्वर होगा।
जहाँ तुम मरोगी, मैं भी वहीं मरूँगी और में वहीं दफनाई जाऊँगी। मैं यहोवा से याचना करती हूँ कि यदि मैं अपना वचन तोड़ूँ तो यहोवा मुझे दण्ड देः केवल मृत्यु ही हम दोनों को अलग कर सकती है।”
फिर नाओमी और रूत ने तब तक यात्रा की जब तक वे बेतलेहेम नहीं पहुँच गईं। जब दोनों स्त्रियाँ बेतलेहेम पहुँचीं तो सभी लोग बहुत उत्तेजित हुए। उन्होंने कहना आरम्भ किया, “क्या यह नाओमी है?”
जब मैं गई थी, मेरे पास वे सभी चीज़ें थीं जिन्हें मैं चाहती थी। किन्तु अब, यहोवा मुझे खाली हाथ घर लाया है। यहोवा ने मुझे दुःखी बनाया है अत: मुझे ‘प्रसन्न’ क्यों कहते हो? सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने मुझे बहुत अधिक कष्ट दिया है।”