मरियम और हारून मूसा के विरुद्ध बात करने लगे। उन्होंने उसकी आलोचना की, क्योंकि उसकी पत्नी कूशी थी। उन्होंने सोचा कि यह अच्छा नहीं कि मूसा ने कूशी लोगों में से एक के साथ विवाह किया।
उन्होंने आपस में कहा, “यहोवा ने लोगों से बात करने के लिए मूसा का उपयोग किया है। किन्तु मूसा ही एकमात्र नहीं है। यहोवा ने हम लोगों के द्वारा भी कहा है।” यहोवा ने यह सुना।
इसलिए यहोवा अचानक आया और मूसा,हारून और मरियम से बोला। यहोवा ने कहा, “तुम तीनों को अब मिलापवाले तम्बू में आना चाहिए।” इसलिए मूसा, हारून और मरियम तम्बू में गए।
यहोवा ने कहा, “मेरी बात सुनो जब मैं तुम लोगों में नबी भेजूँगा, तब मैं अर्थात् यहोवा अपने आपको उसके दर्शन में दिखाऊँगा और मैं उससे उसके सपने में बात करूँगा।
जब मैं उससे बात करता हूँ तो मैं उसके आमने सामने बात करता हूँ। मैं जो बात कहना चाहता हुँ उसे साफ—साफ कहता हुँ मैं छिपे अर्थ वाले विचित्र विचारों को उसके सामने नहीं रखता और मूसा यहोवा के स्वरूप को देख सकता है। इसलिए तुमने मेरे सेवक मूसा के विरुद्ध बोलने का साहस कैसे किया?”
यहोवा ने मूसा को उत्तर दिया, “यदि उसका पिता उसके मुँह पर थूके, तो वह सात दिन तक लज्जित रहेगी। इसलिए उसे सात दिन तक डेरे से बाहर रखो। उस समय के बाद वह ठीक हो जायेगी। तब वह डेरे में वापस आ सकती है।”