तब मूसा और इस्राएल के लोग यहोवा के लिए यह गीत गाने लगे:
“मैं यहोवा के लिए गाऊँगा क्योंकि
उसने महान काम किये हैं।
उसने घोड़ों और सवारों को समुद्र में फेंका है।
यहोवा ही मेरी शक्ति है।
वह हमें बचाता है
और मैं गाता हूँ गीत उसकी प्रशंसा के।
मेरा परमेश्वर यहोवा है
और मैं उसकी स्तुति करता हूँ।
मेरे पूर्वजों का परमेश्वर यहोवा है
और मैं उसका आदर करता हूँ।
“शत्रु ने कहा,
‘मैं उनका पीछा करूँगा और उनको पकड़ूँगा।
मैं उनका सारा धन लूँगा।
मैं अपनी तलवार चलाऊँगा और उनसे हर चीज़ लूँगा।
मैं अपने हाथों का उपयोग करूँगा और अपने लिए सब कुछ लूँगा।’
वे लोग आतंक और भय से आक्रान्त होंगे जब
वे तेरी शक्ति देखेंगे।
वे चट्टान के समान शान्त रहेंगे जब तक
तुम्हारे लोग गुज़रेंगे जब तक तेरे द्वारा लाए गए लोग गुज़रेंगे।
हाँ, ये सचमुच हुआ! फ़िरौन के घोड़े, सवार और रथ समुद्र में चले गए और यहोवा ने उन्हें समुद्र के पानी से ढक दिया। किन्तु इस्राएल के लोग सूखी ज़मीन पर चलकर समुद्र के पार चले गए।
मूसा इस्राएल के लोगों को लाल सागर से दूर ले जाता रहा, लोग शूर मरुभूमि में पहुँचे। वे तीन दिन तक मरुभूमि में यात्रा करते रहे। लोग तनिक भी पानी न पा सके।
तीन दिन के बाद लोगों ने मारा की यात्रा की। मारा में पानी था, किन्तु पानी इतना कड़वा था कि लोग पी नहीं सकते थे। (यही कारण था कि इस स्थान का नाम मारा पड़ा।)
मूसा ने यहोवा को पुकारा। इसलिए यहोवा ने उसे एक पेड़ दिखाया। मूसा ने पेड़ को पानी में डाला। जब उसने ऐसा किया, पानी अच्छा पीने योग्य हो गया। उस स्थान पर यहोवा ने लोगों की परीक्षा ली और उन्हें एक नियम दिया। यहोवा ने लोगों के विश्वास की जाँच की।
यहोवा ने कहा, “तुम लोगों को अपने परमेश्वर यहोवा का आदेश अवश्य मानना चाहिए। तुम लोगों को वह करना चाहिए जिसे वह ठीक कहता है। यदि तुम लोग यहोवा के आदेशों और नियमों का पालन करोगे तो तुम लोग मिस्रियों की तरह बीमार नहीं होगे। मैं तुम्हारा यहोवा तुम लोगों को कोई ऐसी बीमारी नहीं दूँगा जैसी मैंने मिस्रियों को दी। मैं यहोवा हूँ। मैं ही वह हूँ जो तुम्हें स्वस्थ बनाता है।”