Psalms 75

dissolvetur terra cum omnibus habitatoribus suis ego adpendi columnas eius semper
हे परमेश्वर, हम तेरी प्रशंसा करते हैं! हम तेरे नाम का गुणगान करते हैं! तू समीप है और लोग तेरे उन अद्भत कर्मो का जिनको तू करता है, बखान करते हैं।
dixi inique agentibus nolite inique agere et impiis nolite exaltare cornu
परमेश्वर, कहता है, “मैंने न्याय का समय चुन लिया, मैं निष्पक्ष होकर के न्याय करूँगा।
nolite exaltare in excelsum cornu vestrum loquentes in cervice veteri
धरती और धरती की हर वस्तु डगमगा सकती है और गिरने को तैयार हो सकती है, किन्तु मैं ही उसे स्थिर रखता हूँ।
quia nec ab oriente neque ab occidente neque a solitudine montium
“कुछ लोग बहुत ही अभिमानी होते हैं, वे सोचते रहते है कि वे बहुत शाक्तिशाली और महत्वपूर्ण है।
sed Deus iudex hunc humiliabit et hunc exaltabit
लेकिन उन लोगों को बता दो, ‘डींग मत हाँकों!’ ‘इतने अभिमानी मत बने रह!’”
quia calix in manu Domini est et vino meraco usque ad plenum mixtus et propinabit ex eo verumtamen feces eius epotabunt bibentes omnes impii terrae
इस धरती पर सचुमच, कोई भी मनुष्य नीच को महान नहीं बना सकता।
ego autem adnuntiabo in sempiternum cantabo Deo Iacob
परमेश्वर न्याय करता है। परमेश्वर इसका निर्णय करता है कि कौन व्यक्ति महान होगा। परमेश्वर ही किसी व्यक्ति को महत्वपूर्ण पद पर बिठाता है। और किसी दूसरे को निची दशा में पहुँचाता है।
et omnia cornua impiorum confringam exaltabuntur cornua iusti
परमेश्वर दुष्टों को दण्ड देने को तत्पर है। परमेश्वर के पास विष मिला हुआ मधु पात्र है। परमेश्वर इस दाखमधु (दण्ड) को उण्डेलता है और दुष्ट जन उसे अंतिम बूँद तक पीते हैं।
victori in psalmis canticum Asaph carminis cognoscetur in Iudaea Deus in Israhel magnum nomen eius
मैं लोगों से इन बातों का सदा बखान करूँगा। मैं इस्राएल के परमेश्वर के गुण गाऊँगा।
et erit in Salem tabernaculum eius et habitatio eius in Sion
मैं दुष्ट लोगों की शक्ति को छीन लूँगा, और मैं सज्जनों को शक्ति दूँगा।